भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है. मौसम विभाग के मुताबिक 1 से 2 दिनों में ओडिशा, छत्तीसगढ़, विदर्भ और पूर्वी मध्य प्रदेश में भारी बारिश हो सकती है, क्योंकि उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी और उसके आस-पास के इलाके में लो प्रेशर एरिया बन रहा है, जिसकी वजह से तटीय राज्यों व उनसे सटे कुछ राज्यों में भारी बारिश हो सकती है. जबकि मौसम विभाग ने दक्षिण-पश्चिम मानसून के राजस्थान और गुजरात के कुछ इलाकों से वापसी की शुरूआत की बात भी कही है. मौसम विभाग के मुताबिक देश में इस साल मानसून में अनुमान से 70 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है. जिसकी वजह से इस बार खरीफ की फसल जैसे धान, दलहन, तिलहन, कपास और गन्ने की पैदावार बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है. आम तौर पर मानसून की वापसी में करीब एक महीने के समय लगता है.
एक जैसा नहीं रहा है मानसून का वितरण
मौसम विभाग के मुताबिक 1 जून से 20 सितंबर के बीच सभी चार क्षेत्रों में अनुमान से ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई. इस साल यहां पर करीब 878 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि इस दौरान बारिश का अनुमान 822 मिमी लगाता जा रहा था. यानी इस दौरान अनुमान से करीब 7 फीसदी से ज्यादा रही है. हालांकि अलग अलग क्षेत्रों में बारिश का वितरण असमान रहा है. विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व, उत्तर-पूर्व और उत्तर-पश्चिम क्षेत्रों में 17% और 4% बारिश कम हुई है. जबकि मध्य भारत और दक्षिण प्रायद्वीप में एलपीए की तुलना में 20% और 28% ज्यादा बारिश हुई है.
चावल उत्पादक राज्यों में बारिश अनुमान से कम हुई है
हालांकि इस बार चावल उत्पादक राज्यों में अनुमान से कम बारिश हुई है. इस साल उत्तर प्रदेश में अनुमान से 37%, बिहार में 30%, झारखंड में 20% और पंजाब में 21% कम बारिश रिकॉर्ड की गई है. इससे पहले पिछले सप्ताह खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने बताया था कि देश में धान का बुवाई क्षेत्र 39.9 मिलियन हेक्टेयर दर्ज किया गया था, जो पिछले साल के मुकाबले में करीब 4.5 फीसदी कम है. इसके साथ ही उन्होंने 2022-23 फसल वर्ष में देश में चावल उत्पादन में 6 से 10 मिलियन टन (MT) की गिरावट आने की आशंका जाहिर की. पिछले फसल वर्ष 2021-22 में देश में चावल का कुल उत्पादन 130 मिलियन टन रहा था. वहीं धान, दलहन, तिलहन, कपास, पोषक अनाज जैसी खरीफ का बुवाई क्षेत्र पिछले सप्ताह तक 109.2 मिलियन हेक्टेयर दर्ज किया गया. जो पिछले साल के 0.8 फीसदी कम है.
(Article by Sandip Das)