Retail Inflation and Industrial Output Latest Data : बजट से पहले देश में अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर कुछ राहत देने वाली खबर आई है. गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2022 के दौरान देश में खुदरा महंगाई दर (CPI) घटकर 5.72 फीसदी हो गई, जो पिछले एक साल में सबसे कम है. नवंबर 2022 में देश की खुदरा महंगाई दर 5.88 फीसदी रही थी. जबकि दिसंबर 2021 के दौरान खुदरा महंगाई दर 5.66 फीसदी थी. नवंबर में देश के औद्योगिक उत्पादन (IIP) में 7.1 फीसदी का इजाफा होने की खबर भी आई है, जबकि अक्टूबर 2022 में यह 4 फीसदी घट गया था.
फूड इंफ्लेशन में गिरावट
गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक खुदरा महंगाई दर में गिरावट की मुख्य वजह खाने-पीने की चीजों के दामों में कमी आना है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में फूड इनफ्लेशन (Food Inflation) यानी खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर 4.19 फीसदी रही, जो नवंबर 2022 में 4.67 फीसदी थी.
RBI के लिए राहत देने वाली खबर
देश में खुदरा महंगाई दर जनवरी से अक्टूबर 2022 तक लगातार 6 फीसदी से ऊपर रही थी. इसके बाद नवंबर 2022 में यह घटकर 5.88 फीसदी पर आई. सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को खुदरा महंगाई दर 4 फीसदी पर रखने का लक्ष्य दिया है. जिसके ऊपर या नीचे दो फीसदी का टॉलरेंस लेवल दिया गया है. इस हिसाब से खुदरा महंगाई दर न्यूनतम 2 फीसदी से अधिकतम 6 फीसदी के बीच रहनी चाहिए. नवंबर के बाद दिसंबर में भी खुदरा महंगाई दर इस टॉलरेंस लेवल के भीतर रहना आरबीआई के लिए कुछ राहत की बात है.
खुदरा महंगाई दर पर क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट
एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) की प्रिंसिपल इकॉनमिस्ट साक्षी गुप्ता ने कहा कि खुदरा महंगाई दर में नरमी का असर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) पर भी पड़ना चाहिए और फरवरी की मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट्स से ज्यादा की बढ़ोतरी नहीं होनी चाहिए. साक्षी गुप्ता का यह भी मानना है कि वित्त वर्ष 2022-23 (FY23) के दौरान खुदरा महंगाई की औसत दर कुल मिलाकर 6.5 फीसदी रहेगी, जबकि FY24 में इसके घटकर 5.2 फीसदी रह जाने की उम्मीद की जा सकती है.
ब्याज दरों में कटौती की कितनी है उम्मीद?
HDFC बैंक की प्रिंसिपल इकॉनमिस्ट साक्षी गुप्ता ने यह भी कहा कि अगले वित्त वर्ष के दौरान कई ऐसे रिस्क फैक्टर भी हैं, जो महंगाई दर को बढ़ा सकते हैं. खासतौर पर चीन की इकॉनमी की री-ओपनिंग के चलते कमोडिटी की कीमतों में इजाफा आने का खतरा बना हुआ है. इसके अलावा कोर इंफ्लेशन अब भी नीचे नहीं आ रहा है. इन बातों को ध्यान में रखते हुए RBI फिलहाल ब्याज दरों के मामले में सतर्कता बरतेगा और आने वाले दिनों में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद नहीं की जा सकती है.
कोटक महिंद्रा बैंक की चीफ इकॉनमिस्ट उपासना भारद्वाज का कहना है कि दिसंबर में खुदरा महंगाई दर का आंकड़ा भले ही अनुमान से कम रहा हो, लेकिन इसकी मुख्य वजह फूड इंफ्लेशन यानी खाने-पीने की चीजों में गिरावट आना है. जबकि कोर इंफ्लेशन (core inflation) अब भी ऊंचे स्तर पर बना हुआ है और उसका अड़ियल रुख भी कायम है. फिर भी हेडलाइन इंफ्लेशन में नरमी आने से कारण आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) को कुछ राहत मिलेगी और फरवरी की पॉलिसी में रेपो रेट में बढ़ोतरी 25 बेसिस प्वाइंट तक सिमटने की उम्मीद की जा सकती है. इसके बाद कुछ दिनों तक ब्याज दरों में स्थिरता बने रहने की संभावना भी दिखाई दे रही है.