RBI Monthly Bulletin: भारत में महंगाई के खिलाफ लड़ाई लंबी चलेगी, लेकिन आने वाले दिनों में खुदरा महंगाई की दर धीरे-धीरे कम होगी. इसके साथ ही आर्थिक गतिविधियों में सुधार आएगा. ये अनुमान रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के सोमवार को जारी मंथली बुलेटिन में जाहिर किए गए हैं. बुलेटिन में कहा गया है कि देश में खुदरा महंगाई की दर सितंबर में जितनी ऊंचाई पर चली गई थी, वहां से और ऊपर जाने की बजाय अब उसमें नरमी आने की उम्मीद की जा सकती है. हालांकि इसके साथ ही बुलेटिन में यह भी कहा गया है कि ऊंची महंगाई दर से राहत मिलने का यह रास्ता लंबा और कठिनाई भरा होगा.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मंथली बुलेटिन में अर्थव्यवस्था की स्थिति (State of the Economy) शीर्षक से प्रकाशित लेख में कहा गया है कि मॉनेटरी पॉलिसी के तहत उठाए गए कदमों का असर लंबे समय में और अलग-अलग ढंग से नजर आता है. लिहाजा, महंगाई के खिलाफ लड़ाई लंबी चलेगी और इस दौरान कई कठिनाइयां भी आएंगी. लेख में बताया गया है कि खुदरा महंगाई दर सितंबर के ऊंचे स्तर से नीचे तो आएगी, लेकिन इस दौरान उसका अड़ियल रुख भी देखने को मिलेगा.
खाने-पीने की चीजों की महंगाई दर में राहत की उम्मीद
आरबीआई के मंथली बुलेटिन में कहा गया है कि महंगाई दर में राहत का रुझान सबसे पहले खाने-पीने की चीजों के दामों में देखने को मिल सकता है, जबकि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान इनकी कीमतों में बढ़ोतरी ने बार-बार झटका दिया है. गौरतलब है कि सितंबर 2022 में फूड इंफ्लेशन में तेजी की बदौलत ही देश की खुदरा महंगाई दर 7.41 फीसदी तक जा पहुंची, जो पिछले 5 महीनों का सबसे ऊंचा स्तर है.
आर्थिक गतिविधियों में सुधार, डोमेस्टिक डिमांड में तेजी की उम्मीद
रिजर्व बैंक का कहना है कि हेडलाइन इंफ्लेशन की दर का लगातार तीन तिमाही तक 2 से 6 फीसदी के निर्धारित दायरे से ऊपर रहने के चलते नियमों के तहत जवाबदेही तय करने की प्रक्रिया होगी, लेकिन मॉनेटरी पॉलिसी का फोकस अब भी महंगाई दर को लक्ष्य के भीतर लाने पर बना हुआ है. आरबीआई ने उम्मीद जाहिर की है कि महंगाई में बढ़ोतरी के बावजूद आर्थिक गतिविधियां आमतौर पर बेहतर हुई हैं और एविएशन व ट्रांसपोर्ट जैसे सेक्टर्स में रिकवरी के चलते डोमेस्टिक डिमांड में तेजी आने की उम्मीद है.
तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में शामिल रहेगा भारत
रिजर्व बैंक ने अपने बुलेटिन में भरोसा जाहिर किया है कि तमाम चुनौतियों के बावजूद क्रेडिट ग्रोथ में शानदार सुधार के साथ-साथ कॉरपोरेट सेक्टर और बैंकों की बैलेंस शीट्स की मजबूती अर्थव्यवस्था को ताकत देने का काम कर रहे हैं. आरबीआई का दावा है कि इन फैक्टर्स की बदौलत भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं की फेहरिस्त में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में सफल रहेगा.