RBI Calls Additional Meeting of the MPC on 3rd November: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 3 नवंबर को अपनी मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की एडिशनल मीटिंग यानी अतिरिक्त बैठक बुलाने का फैसला किया है. आरबीआई ने इसकी जानकारी गुरुवार 27 अक्टूबर को जारी एक बयान में दी है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की पिछली बैठक 28 से 30 सितंबर 2022 को हुई थी, जिसमें ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला किया गया था. रिजर्व बैंक के पहले से घोषित शेड्यूल के मुताबिक एमपीसी की अगली बैठक 5 से 7 दिसंबर 2022 को होनी थी.
क्या हो सकता है इस बैठक का एजेंडा?
रिजर्व बैंक ने जिस तरह अचानक एमपीसी की एडिशनल मीटिंग बुलाई है, उससे लोगों के मन में ये सवाल उठ सकते हैं कि आखिर इस बैठक का एजेंडा क्या है? कहीं आरबीआई एक बार फिर से ब्याज दरें बढ़ाने तो नहीं जा रहा? या फिर यह बैठक किसी और अहम मसले पर फैसला करने के लिए बुलाई गई है? इन तमाम सवालों का पक्का जवाब तो बैठक के बाद आरबीआई की तरफ से औपचारिक एलान किए जाने के बाद ही मिलेगा, लेकिन फिलहाल बैठक की वजह को लेकर कुछ अनुमान जरूर लगाए जा सकते हैं.
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महंगाई को काबू में नहीं कर पाने पर देनी है सफाई
सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को देश में खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation or CPI Inflation) को 2 से 6 फीसदी के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया है. लेकिन पिछले कुछ महीनों के दौरान आरबीआई सरकार की तरफ से दिए गए इस लक्ष्य को पूरा करने में लगातार नाकाम रहा है. लिहाजा, नियमों के तहत उसे इस मामले में सरकार के सामने सफाई देनी होगी. यह बताना होगा कि आरबीआई अपने टारगेट को पूरा करने में क्यों सफल नहीं हो सका. ऐसे में इस बात की काफी संभावना है कि रिजर्व बैंक ने 3 नवंबर को एमपीसी की एडिशनल मीटिंग इसी मकसद से बुलाई होगी.
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पिछली बैठक में बढ़ाई थी ब्याज दर
कमेटी की पिछली बैठक 28 से 30 सितंबर 2022 को हुई थी, जिसमें रेपो रेट को 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 5.9 फीसदी करने का फैसला किया गया था. उस वक्त रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला महंगाई दर के लगातार ऊंचे स्तर पर बने रहने की वजह से किया गया है. हालांकि ब्याज दरों में बार-बार बढ़ोतरी के बावजूद महंगाई पर काबू पाने में सफलता नहीं मिल सकी है. बल्कि सितंबर के महीने में तो खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7.4 फीसदी पर चली गई, जो 5 महीने का सबसे ऊंचा स्तर है. हालांकि कई जानकार आने वाले महीनों में महंगाई के मोर्चे पर कुछ राहत मिलने की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल तो सरकार और रिजर्व बैंक, दोनों के लिए ही यह चिंता की बड़ी वजह बना हुआ है.