Important terms used in Finance Minister’s Union Budget Speech : केंद्रीय बजट देश का सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक दस्तावेज है, जो न सिर्फ देश की मौजूदा आर्थिक हालत बताता है, बल्कि भविष्य का खाका तैयार करने में भी इसकी अहम भूमिका होती है. बजट से एक दिन पहले पेश होने वाला आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) भी देश की आर्थिक दशा-दिशा बताने वाला महत्वपूर्ण डॉक्युमेंट है. लेकिन इन्हें अच्छी तरह जानने-समझने के लिए उन शब्दों के अर्थ जानना जरूरी है, जिनका इस्तेमाल इनमें किया जाता है. आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ शब्दों के अर्थ –
1. राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit)
राजकोषीय घाटा या फिस्कल डेफिसिट (Fiscal Deficit) एक ऐसा शब्द है, जिसका इस्तेमाल न सिर्फ वित्त मंत्री के हर बजट भाषण में होता है, बल्कि उससे पहले भी सरकार के आर्थिक मैनेजमेंट से जुड़ी तमाम चर्चाओं में इसका जिक्र आता ही रहता है. फिस्कल डेफिसिट को हिंदी में राजकोषीय घाटा कहते हैं. जिसका शाब्दिक अर्थ है, “राजकोष यानी सरकारी खजाने को होने वाला घाटा.” केंद्र सरकार के बजट के मामले में इसका मतलब ये है कि सरकार का कुल खर्च (Total Expenditure), उसकी कुल आमदनी (Total Income) के मुकाबले कितना अधिक है. खर्च और आय का ये अंतर जितना अधिक होगा, राजकोषीय घाटा उतना ही ज्यादा होगा. इस घाटे की भरपाई आमतौर पर सरकारें कर्ज लेकर करती हैं. जाहिर है, कुल आय का कैलकुलेशन करते समय सरकार द्वारा लिए गए कर्जों (borrowings) को उसमें शामिल नहीं किया जाता. फिस्कल डेफिसिट की कुल रकम का जिक्र करने के साथ ही साथ इसे जीडीपी (Gross Domestic Product) के प्रतिशत के रूप में भी पेश किया जाता है. सरकारें हर बजट में अपने लिए फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य भी जीडीपी के प्रतिशत के रूप में ही निर्धारित करती हैं.
2. राजस्व घाटा (Revenue Deficit)
सरकार को रेवेन्यू डेफिसिट (Revenue Deficit) या राजस्व घाटा तब होता है, जब उसका रेवेन्यू एक्सपेंडीचर (revenue expenditure) उसके रेवेन्यू रिसीट्स (revenue receipts) से ज्यादा हो. इसका मतलब ये हुआ कि सरकार को टैक्स से होने वाली आमदनी उसके रोजमर्रा के खर्च पूरे करने के लिए काफी नहीं है.
3. वित्त विधेयक (Finance Bill)
फाइनेंस बिल (Finance Bill) या वित्त विधेयक का अर्थ है, कानूनी विधेयक के तौर पर संसद में पेश किया गया वह प्रस्ताव, जिसके जरिए सरकार नए टैक्स लगाने, पुराने टैक्स या टैक्स स्ट्रक्चर में किसी तरह का बदलाव करने या मौजूदा टैक्स स्ट्रक्चर को ही जारी रखने के लिए संसद की मंजूरी हासिल करना चाहती है. वित्त विधेयक या फाइनेंस बिल के रूप में तैयार किया गया यह प्रस्ताव सिर्फ लोकसभा में ही पेश किया जाता है. खास बात यह है कि वित्त विधेयक का लोकसभा में पास होना उसे पेश करने वाली सरकार के कायम रहने के लिए जरूरी है. अगर वित्त विधेयक लोकसभा में रिजेक्ट हो जाए, तो उसे सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होना माना जाता है और सरकार गिर जाती है.
4. बजट अनुमान (Budget Estimates)
बजट अनुमान Budget Estimates) के तहत सरकार वित्त वर्ष के दौरान होने वाले संभावित खर्चों और आय का अनुमानित आंकड़ा पेश करती है. ये रकम बाद में असली आंकड़ों के आधार पर अपडेट की जाती है.
5. संशोधित अनुमान (Revised estimates)
किसी वित्त वर्ष के दौरान जब वास्तविक आंकड़े आते हैं, तो बजट अनुमानों की समीक्षा करके उन्हें रिवाइज़ यानी संशोधित किया जाता है. इस संशोधन के बाद पेश आंकड़े संशोधित अनुमान (Revised estimates) कहे जाते हैं. आमतौर पर वित्त वर्ष की पहली छमाही के वास्तविक आंकड़ों के आधार पर बजट अनुमानों को संशोधित किया जाता है.
6. प्रत्यक्ष कर (Direct Taxes)
डायरेक्ट टैक्स (Direct Taxes) यानी प्रत्यक्ष कर ऐसे टैक्स हैं, जो व्यक्तियों, कंपनियों या संस्थाओं की आमदनी पर लगाए जाते हैं. ये टैक्स सीधे सरकार के पास जमा कराने होते हैं. इनकम टैक्स (Income Tax) और कॉरपोरेट टैक्स (Corporate Tax) इसके मुख्य उदाहरण हैं.
7. अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes)
इनडायरेक्ट टैक्स (Indirect Taxes) यानी अप्रत्यक्ष कर वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन और बिक्री जैसी आर्थिक गतिविधियों पर लगाए जाते हैं. उत्पाद कर (Excise), वस्तु एंव सेवा कर (Goods and Services Tax – GST) और इंपोर्ट-एक्सपोर्ट पर लागू कस्टम ड्यूटी इनडायरेक्ट टैक्स के प्रमुख उदाहरण हैं. 1 जुलाई 2017 को देश में जीएसटी लागू किए जाने के बाद इनडायरेक्ट टैक्स का सबसे बड़ा हिस्सा इसी से आता है.
8. विनिवेश (Disinvestment)
जब सरकार अपने मालिकाना हक वाली किसी कंपनी या संस्था की हिस्सेदारी को पूरी तरह या आंशिक रूप से बेच देती है, तो इसे डिसइनवेस्टमेंट (Disinvestment) या विनिवेश कहते हैं.
9. सकल घरेलू उत्पाद (GDP)
सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product – GDP) का मतलब है देश के भीतर एक वित्त वर्ष के दौरान पैदा किए गए उत्पादों और सेवाओं (goods and services) की फाइनल वैल्यू या अंतिम मूल्य. आसान शब्दों में इसे देश की सालाना राष्ट्रीय आय भी कह सकते हैं. यह देश की आर्थिक हालत की जानकारी देने वाला बेहद महत्वपूर्ण आंकड़ा माना जाता है.
10. प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income)
देश की सालाना राष्ट्रीय आय या GDP को देश की कुल आबादी से भाग देने पर प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income) मिल जाएगी. मिसाल के तौर पर देश की जीडीपी को जनसंख्या से भाग देने पर (Gross Domestic Product/Population) प्रति व्यक्ति जीडीपी आय (GDP Per Capita) पता चलेगी. देश के आम नागरिकों की आर्थिक खुशहाली का पता लगाना हो तो जीडीपी के मुकाबले प्रति व्यक्ति आय के आंकड़े से ज्यादा सही संकेत मिलता है. मिसाल के तौर पर जीडीपी के हिसाब से भारत फिलहाल दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी इकॉनमी है. लेकिन इसी जीडीपी को अगर प्रति व्यक्ति आय में बांटकर देखें तो हम दुनिया भर में सौवें नंबर पर भी नहीं आते.