Railway Financial Health: क्‍या होता है ऑपरेटिंग रेश्यो, कैसे साल दर साल बदलती गई रेलवे की वित्‍तीय सेहत | The Financial Express

Budget 2023 Railway: नरेंद्र मोदी सरकार में कैसी रही रेलवे की वित्‍तीय सेहत, कमाई बढ़ी या घटी, ऑपरेटिंग रेश्‍यो से समझें

Railway Operating Ratio: ऑपरेटिंग रेश्यो रेलवे की आर्थिक सेहत को आंकने का पैमाना है. इससे पता चलता है कि रेलवे हर 100 रुपये कमाने के लिए कितना खर्च कर रही है.

Budget 2023 Railway: नरेंद्र मोदी सरकार में कैसी रही रेलवे की वित्‍तीय सेहत, कमाई बढ़ी या घटी, ऑपरेटिंग रेश्‍यो से समझें
Budget 2023: वित्त वर्ष 2024 में रेलवे के ऑपरेटिंग रेश्यो को 95 से नीचे रखने का टारगेट हो सकता है. (PTI)

Railway Operating Ratio: वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट 2023 पेश करेंगी तो रेलवे की वित्‍तीय सेहत की भी चर्चा होगी. सरकार वित्‍त वर्ष 2024 के लिए रेलवे ऑपरेटिंग रेश्यो का लक्ष्य तय करेगी. माना जा रहा है कि 2 साल से कोरोना वायरस महामारी की मार झेल रही भारतीय रेलवे की कमाई के आंकड़ों में कुछ सुधार देखने को मिल सकता है. वित्‍त वर्ष 2024 के लिए केंद्र सरकार रेलवे ऑपरेटिंग रेश्‍या को 95 फीसदी से कम रह सकती है, जो पिछले साल करीब 97 फीसदी था. आखिर क्या है यह ऑपरेटिंग रेश्यो, इससे रेलवे की सेहत का कैसे पता चलता है. नरेंद्र मोदी सरकार के दौरान यह कैसे बदला.

बजट 2023-24: 95% से रहेगा नीचे

जानकारों की मानें तो आम बजट 2023 में वित्त वर्ष 2024 में रेलवे के ऑपरेटिंग रेश्यो को 95 से नीचे रखने का टारगेट हो सकता है. ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि कोरोना के बाद से रेलवे की आय में बढ़ोतरी हुई है. रेल मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 1 अप्रैल से 8 अक्टूबर 2022 तक ओरिजनेटिंग बेसिस पर भारतीय रेलवे की कुल अनुमानित आय 33,476 करोड़ रुपये रही. जो एक साल पहले की इसी अवधि में 17,394 करोड़ रुपये की तुलना में 92 फीसदी ज्यादा है. महामारी के बाद रेलवे ने इस साल पैसेंजर ट्रैफिक और फ्रेट यानी माल यातायात में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की है.

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रेलवे: क्या होता ऑपरेटिंग रेश्यो

ऑपरेटिंग रेश्यो यह बताता है कि भारतीय रेलवे हर 100 रुपया कमाई के लिए कितना खर्च करती है. अगर ऑपरेटिंग रेश्यो 95 फीसदी है तो इसका मतलब कि रेलवे ने 100 रुपये कमाने के लिए 95 रुपये खर्च किए. असल में ऑपरेटिंग रेश्यो रेलवे की आर्थिक सेहत को आंकने का सटीक पैमाना होता है. खराब ऑपरेटिंग रेश्यो का मतलब है कि रेलवे को अपनी कमाई का अधिक हिस्सा अपनी बड़ी परियोजनाओं, सैलरी या अपने अन्‍य कामों पर खर्च करना पड़ रहा है.

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मोदी सरकार में रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो

केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद से देखें तो वित्त वर्ष 2014-15 से लेकर अब तक रेलवे की सेहत बेहतर नहीं रही है. वित्त वर्ष 2014-15 में ऑपरेटिंग रेश्यो 91.25 फीसदी था जो वित्त वर्ष 2015-16 में सुधरकर 90.49 फीसदी पर आ गया. लेकिन वित्त वर्ष 2016-17 में यह बढ़कर 96.5 फीसदी हो गया. वित्त वर्ष 2017-18 में यह बढ़कर कई साल के हाई 98.44 फीसदी दर्ज किया गया. वित्त वर्ष 2018-19 में यह 97.29 फीसदी था जो वित्त वर्ष 2019-20 में फिर 98.4 फीसदी हो गया. वित्त वर्ष 2020-21 में यह 97.45 फीसदी रहा. वहीं वित्त वर्ष 2022-23 के लिए यह 96.98 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है.

मोदी सरकार के पहले कैसा रहा हाल

वित्त वर्ष 2002 से वित्‍त वर्ष 2008 के बीच रेलवे के ऑपरेटिंग रेश्यो में लगातार 6 साल तक सुधार हुआ. वित्त वर्ष 2002 में ऑपरेटिंग रेश्यो 96.6 फीसदी था तो वहीं साल 2008 में यह सुधर कर 75.94 फीसदी पर पहुंच गया. लेकिन वित्त वर्ष 2009 में ऑपरेटिंग रेश्यो बढ़कर 90.46 फीसदी पर आ गया. वित्‍त वर्ष 2010 के बाद से अबतक देखें तो ऑपरेटिंग रेश्‍यो के लिहाज से वित्त वर्ष 2013 बेस्‍ट साल रहा. इस साल ऑपरेटिंग रेश्यो 90.2 फीसदी पर था. केंद्र में मोदी सरकार आने के ठीक पहले वित्त वर्ष 2014 में ऑपरेटिंग रेश्यो 93.6 फीसदी पर था.

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First published on: 17-01-2023 at 18:13 IST

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