Ease of doing business for MSMEs: देश में लगभग 40,000 स्मॉल बिजनेस के समूह लघु उद्योग भारती (LBU) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर उनसे MSME सेक्टर के लिए कुछ खास क्षेत्रों में आरक्षण की मांग की. LBU ने बजट से पहले वित्त मंत्री से मुलाकात कर अनुरोध किया कि बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जाने वाले ट्रेडिशनल और लो-टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग का काम MSME के लिए रिजर्व किया जाए. सीतारमण के साथ एक वर्चुअल प्री-बजट बैठक में LBU ने कहा कि ऐसे उत्पादों का निर्माण, जो भौगोलिक क्षेत्रों में उपभोग किया जाता है, बड़े कॉर्पोरेट्स के हाथों में जा रहा है. ऐसे में, स्पेसिफिक मामलों में MSME के लिए रिजर्वेशन जरूरी है.
इन प्रोडक्ट्स के लिए है रिजर्वेशन की मांग
LBU के अखिल भारतीय संयुक्त कोषाध्यक्ष ओम प्रकाश गुप्ता ने बताया, “ब्रेड, आटा, बन, लस्सी पैकेजिंग, रस्क, अलग-अलग स्टेशनरी आइटम समेत बहुत कुछ ऐसे प्रोडक्ट्स हैं जिन्हें बड़े कॉरपोरेट्स के बजाय SME द्वारा निर्मित किए जा सकते हैं. हर सेक्टर में कई ऐसे लो-टेक्नोलॉजी आइटम हैं, जिन्हें SME को ही बनाना चाहिए.’ LBU का कहना है कि ऐसे प्रोडक्ट्स का निर्माण, जो भौगोलिक क्षेत्रों में उपभोग किया जाता है, बड़े कॉर्पोरेट्स के हाथों में जा रहा है. ऐसे में, स्पेसिफिक मामलों में MSME के लिए रिजर्वेशन जरूरी है.
टेक कंपनियों में जारी है छंटनी का दौर, नौकरी खतरे में पड़े तो घबराएं नहीं, ऐसे करें हालात का सामना
की गई ये मांगे
एसोसिएशन ने MSMEs के लिए NPA क्लासिफिकेशन की अवधि को 90 दिनों से बढ़ाकर 180 दिन करने का भी सुझाव दिया क्योंकि कई मामलों में एंटरप्राइजेज का वर्किंग सायकल 90-दिन की अवधि से बहुत अधिक होता है. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुसार, लोन को NPA के रूप में क्लासिफाइड किया जा सकता है यदि वे 90 दिनों से अधिक समय से ओवरड्यू हैं. MSME को अपने खरीदारों से समय पर भुगतान प्राप्त करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जिसके चलते कई मामलों में लोन पर डिफॉल्ट हो जाते हैं. यह भी एक वजह है कि बैंक MSME को किफायती लोन उपलब्ध नहीं कराना चाहते.
(Article: Sandeep Soni)