75 years of Independence: भारत इस साल 15 अगस्त को अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस (Independence Day 2022) मनाने जा रहा है. इन 75 सालों में देश की GDP 2.7 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर अब 150 लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच गई है. 75 सालों में भारत के केंद्रीय बजट में जबरदस्त उछाल आया है, जिसके चलते देश अब दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के करीब है. 1947 के बाद से भारत में कुल 73 वार्षिक बजट, 14 अंतरिम बजट और चार विशेष बजट पेश किए गए हैं, जिनमें सबसे हाल ही में 39,44,909 करोड़ रुपये का एक्सपेंडिचर बजट शामिल है. इस तरह भारत के केंद्रीय बजट में 1947 से 2022 तक 1998440% का उछाल देखने को मिला है.
भारत का पहला केंद्रीय बजट
भारत का पहला केंद्रीय बजट अंतरिम बजट था और इसे पहले वित्त मंत्री सर रामासामी चेट्टी कंडासामी षणमुखम चेट्टी ने पेश किया था. वित्त मंत्री ने तब अपना बजट भाषण शुरू करते हुए कहा, “सर, मैं स्वतंत्र भारत का पहला बजट पेश करने के लिए खड़ा हुआ हूं. इस अवसर को ऐतिहासिक माना जा सकता है और मैं इसे एक दुर्लभ सौभाग्य मानता हूं कि इस बजट को मैं वित्त मंत्री के रूप में पेश कर रहा हूं.” उन्होंने 197.39 करोड़ रुपये के एक्सपेंडिचर प्लान की रूपरेखा तैयार की थी. वर्ष के लिए राजस्व 171.15 करोड़ रुपये रखा गया था. इसके बाद, अगले वित्तीय वर्ष में केंद्रीय बजट फिर से सर रामासामी चेट्टी कंडासामी षणमुखम चेट्टी द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जहां व्यय बजट बढ़कर 322.53 करोड़ और राजस्व बजट 307.74 करोड़ था.
1950 के दशक में केंद्रीय बजट
जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ा, 1950-51 का केंद्रीय बजट भारत गणराज्य के लिए पहला बजट था. बजट अनुमान में राजस्व प्राप्तियां 347.5 करोड़ थी जबकि व्यय 337.88 करोड़ रुपये था. इस केंद्रीय बजट के दौरान तत्कालीन वित्त मंत्री जॉन मथाई ने तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में योजना आयोग की स्थापना की घोषणा की. दशक के अंत तक, जब वित्त मंत्री मोराजी देसाई ने 28 फरवरी,1959 को अपना केंद्रीय बजट रखा, तब भारतीय विकास की कहानी मजबूती से आकार ले रही थी. इस दौरान, राजस्व प्राप्तियां बढ़कर 757.51 करोड़ रुपये हो गई जबकि व्यय 839.18 करोड़ रुपये हो गया. इस तरह, राजस्व प्राप्तियों में 117.98% की और व्यय में 148% की वृद्धि हुई.
1960 के दशक में केंद्रीय बजट
मोराजी देसाई ने 1960-61 का केंद्रीय बजट पेश किया. इस बजट में 980.35 करोड़ रुपये की व्यय योजना और 896.45 करोड़ रुपये का राजस्व था. इसी बजट के दौरान सरकार ने एक नई पेरोल योजना शुरू की थी. साल बीतते गए और दशक के अंत में जब मोराजी देसाई ने फिर से केंद्रीय बजट पेश किया, तब राजस्व 3,519 करोड़ रुपये और व्यय 2,558 करोड़ रुपये हो गया. 1963-64 के केंद्रीय बजट में सरकार ने 1962 में चीन के साथ एक कठिन लड़ाई का सामना करने के बाद मजबूत सशस्त्र बलों की जरूरत को पहचाना. इस बजट में रक्षा बजट में 708.51 करोड़ रुपये की वृद्धि देखी गई. 1965 के पाकिस्तान के साथ युद्ध के बाद के केंद्रीय बजट में रक्षा बजट में फिर से जोर देखा गया.
1970 से 1990 के दशक में केंद्रीय बजट
1970-71 का केंद्रीय बजट भारत के लिए ऐतिहासिक था, जिसमें तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने बजट प्रस्तुत किया था. इस साल राजस्व 3,867 करोड़ रुपये और व्यय 3,167 करोड़ रुपये रहा. वहीं, दशक के अंत तक केंद्रीय बजट 18,526 करोड़ रुपये के खर्च और 16,551 करोड़ रुपये के राजस्व के साथ बढ़ गया था. इस दौरान, व्यय में 484.97% और राजस्व में 328% की वृद्धि देखी गई. 1980-81 में देश ने संसद में दो बजट पेश किए जिनमें एक अंतरिम बजट था. सरकार का राजस्व 27,814 करोड़ रुपये था, जबकि व्यय 34,446 करोड़ रुपये था.
एक नए दशक की शुरुआत
नए दशक की शुरुआत के साथ यशवंत सिन्हा ने 2.83 लाख करोड़ रुपये के राजस्व और 2.84 लाख करोड़ रुपये के व्यय के साथ केंद्रीय बजट पेश किया. राजस्व बजट 1947 के पहले केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए बजट से 1,65,767% अधिक था, जबकि व्यय बजट 1947 के अंतरिम बजट से 1,43,779% अधिक था. निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत पिछले केंद्रीय बजट में, व्यय 39,44,909 करोड़ रुपये था, जबकि ग्रॉस टैक्स रेवेन्यू 19,34,771 करोड़ रुपये और नॉन-टैक्स रेवेन्यू 2,69,651 करोड़ रुपये था.
इन सभी वर्षों में, बजट निर्धारित करने वाले वित्त मंत्रियों ने भारत के भविष्य को आकार देने में अहम भूमिका निभाई है. केंद्रीय बजट में उन अहम योजनाओं की घोषणा की गई है जो देश के विकास पथ को बताती हैं. यहां सबसे बड़ा योगदान मोराजी देसाई का रहा है जिन्होंने 10 केंद्रीय बजट पेश किए, इसके बाद पी चिदंबरम ने 9 और प्रणब मुखर्जी ने 8 केंद्रीय बजट पेश किए.
(Article: Kshitij Bhargava)