Best IT Stocks to Invest: आईटी शेयरों में एक बार फिर तेजी देखने को मिल रही है. सितंबर 2022 के अंत से निफ्टी आईटी इंडेक्स में करीब 15 फीसदी बढ़ोतरी देखने को मिली है. यह ब्रारॅडर मार्केट की तुलना में बेतर प्रदर्शन है. वित्त वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही में आईटी कंपनियों ने उम्मीद के मुताबित रेवेन्यू हासिल किया है. वहीं मार्जिन में भी कुछ सुधार देखने को मिला है. वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मार्जिन ट्रैजेक्टरी को लेकर भरोसा बना हुआ है. हालांकि मंदी की आशंका, हाई एनर्जी कास्ट, ब्याज दरों में बढ़ोतरी और जियोपॉजिटिकल टेंशन जैसे फैक्टर वैल्युएशन पर असर डालेंगे.
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किन वजहों से सेक्टर को मिलेगा सपोर्ट
ब्रोकरेज का कहना है कि सेक्टर की मॉडरेट ग्रोथ, पिछली कुछ तिमाहियों में नई भर्ती, टैलेंट पूल में विस्तार और स्टार्ट-अप द्वारा छंटनी के चलते नौकरी छोड़ने वालों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है. ब्रोकरेज के अनुसार सेक्टर का EBIT मार्जिन दूसरी छमाही में सुधरेगा.
नौकरी छोड़ने वालों की संख्या में कमी, हाई यूटिलाइजेशन, प्राइसिंग धीरे-धीरे बढ़ोतरी और रुपये में कमजोरी से इस सेक्टर को सपोर्ट मिलेगा. हालांकि, ग्रोथ में सुस्ती और ट्रैवल कास्ट में बढ़ोतरी से सेक्टर में तेजी सीमित होगी.
टॉप पिक्स: शेयर, रेटिंग और टारगेट
TCS, Hold, 3100 रुपये
Infosys, Buy, 1600 रुपये
HCL Tech, Buy, 1070 रुपये
WPRO, Buy, 460 रुपये
TECH Mahindra, Buy, 1200 रुपये
LTI, Hold, 4500 रुपये
Mphasis, Buy, 2600 रुपये
COFORGE, Hold, 3550 रुपये
Persistent Systems, Buy, 3950 रुपये
Birla Soft, Buy, 370 रुपये
Firstsource Solutions, Buy, 125 रुपये
Route Mobile, Hold, 1500 रुपये
ZOMATO, Buy, 90 रुपये
रेवेन्यू पर अभी कुछ और दिन दबाव
ब्रोकरेज हाउस एमके ग्लोबल का मानना है कि वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में वर्किंग डेज यानी काम के दिनों की संख्या कम होने, ज्यादा छुट्टियों और मैक्रो अनिश्चितताओं के चलते निर्णय लेने में देरी से रेवेन्यू प्रभावित होगा. कंपनियों का मानना है कि व्यापक अनिश्चितताओं के बीच ग्राहकों द्वारा निर्णय लेने में देरी हुई है, जिससे लार्ज डील और स्पेंडिंग पर असर हुआ है. अनिश्चितताओं के कारण इस साल टेक्नोलॉजी बजट साइकिल लंबा हो सकता है. यह Q4 रेवेन्यू ग्रोथ ट्रैजेक्टरी पर भार डाल सकता है.
प्राइसिंग एन्वायरमेंट स्टेबल
ब्रोकरेज के अनुसार प्राइसिंग एन्वायरमेंट स्टेबल है. कंपनियां न्यू डील प्राइसिंग में वर्तमान लागत अनुमानों को पास ऑन करने में सक्षम हैं. मौजूदा डील के लिए कंपनियां नियमित रूप से COLA क्लॉज को लागू कर रही हैं और हाई ऑनसाइट इनफ्लेशन को देखते हुए कस्टमर्स इसके लिए अधिक जिम्मेदार हैं. मैनेजमेंट का कहना है कि कीमतों में बढ़ोतरी ग्रेजुअल प्रॉसेस है, जबकि कर्मचारी-कास्ट इनफ्लेशन अपफ्रंट है. जिसने पिछली कुछ तिमाहियों में मार्जिन को प्रभावित किया है.
(Disclaimer: स्टॉक में निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं हैं. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)