Factors That Will Impact Share Market Outlook in 2023 : बेकाबू महंगाई, बढ़ती ब्याज दरें, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जंग और कोविड-19 महामारी की छाया में मंदी की आशंकाओं से जूझती दुनिया और इस माहौल में हिचकोले खाता बाज़ार. 2022 का गुजरता साल कुछ ऐसी ही यादें देकर जा रहा है. लेकिन नए साल की आहट के बीच असली सवाल ये है कि शेयर बाजार के लिए आने वाला वक्त कैसा होगा? इस सवाल का जवाब इन 6 बातों में छिपा है, जिनका असर 2023 में देश के शेयर बाजार पर पड़ सकता है.
1. इंफ्लेशन और मॉनेटरी पॉलिसी
2022 का पूरा साल न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए महंगाई के बेकाबू होने की चिंता से भरा रहा. महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में बार-बार बढ़ोतरी जैसे कदम उठाए गए. इससे कुछ हद तक कीमतें तो काबू में आईं, लेकिन मनी सप्लाई घटने और कर्ज महंगा होने का असर इकनॉमिक रिकवरी पर भी पड़ा. इसने रोजगार और विकास दर जैसी चिंताओं को भी बढ़ा दिया. आने वाले साल में सारी दुनिया के बाजारों की नजर इन तमाम बातों पर रहेगी. हाल के आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में हालात उतने खराब नहीं हैं, जितनी कुछ समय पहले तक आशंका जाहिर की जा रही थी, लेकिन यूरोप के कई प्रमुख देशों की हालत अच्छी नहीं है. ऐसे में 2023 के दौरान भारत ही नहीं, दुनिया भर के बाजारों की चाल पर इन तमाम बातों का असर पड़ने के आसार हैं.
2. घरेलू आर्थिक विकास दर
ग्लोबल इकॉनमी के चुनौती भरे हालात बता रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजारों की ग्रोथ स्टोरी यानी विकास की कहानी मुख्य तौर पर देश की अंदरूनी डिमांड के दम पर ही आकार लेगी. भारत के लिए अच्छी बात यह है कि हमारी अर्थव्यवस्था दुनिया के बाकी बड़े देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में नजर आ रही है. ज्यादातर जानकारों का अनुमान यही है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में रिकवरी का सिलसिला 2023 में भी जारी रहेगा. सरकार ने कैपिटल एक्सपेंडीचर को बढ़ावा देने के लिए जितने भी कदम उठाए हैं, उनका फायदा कंपनियों की बेहतर बैलेंस शीट के रूप में देखने को मिलेगा. इससे भी भारतीय शेयर बाजारों को मजबूती मिलने की उम्मीद है.
3. बजट 2023-24
1 फरवरी 2023 को पेश होने वाले देश के अगले बजट का भी भारतीय शेयर बाजार पर काफी असर पड़ सकता है. अगले वित्त वर्ष यानी 2023-24 का ये बजट 2024 में होने वाले अगले आम चुनाव से पहले का आखिरी पूर्ण बजट होगा. ऐसे में इस बात की काफी संभावना है कि सरकार आर्थिक गतिविधियों और उनके जरिए रोजगार को बढ़ावा देने वाली नीतियों पर काफी जोर देगी. कुल मिलाकर नए बजट में बाजार को शॉर्ट और मीडियम टर्म में प्रभावित करने वाली नीतियां घोषित किए जाने के काफी आसार हैं. अगर सरकार मध्यम वर्ग को खुश करने के लिए इनकम टैक्स स्लैब में छूट देने या 80सी के तहत निवेश पर मिलने वाली राहत की सीमा बढ़ाने जैसे कुछ अहम ऐलान करती है, तो उससे भी डिमांड को बढ़ावा मिलेगा. जाहिर है, इसका लाभ शेयर बाजार को भी मिल सकता है. ऐतिहासिक रूप से भी लोकसभा चुनाव से पहले वाले साल में बेंचमार्क इंडेक्स आमतौर पर अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं. हालांकि चुनावी फायदे के लिए किए गए ऐसे पॉपुलिस्ट उपाय जिनसे अर्थव्यवस्था को कोई फायदा नहीं होता, सरकार की आर्थिक सेहत के लिए चुनौती भी बन सकते हैं. कुल मिलाकर, नए बजट में घोषित फैसलों और नीतियों की दिशा कुछ भी हो, उनका सकारात्मक या नकारात्मक असर देश के शेयर बाजारों पर पड़ना तय है.
4. फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट
दुनिया के अमीर और विकासशील देशों के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors – FPI) के फंड्स का फ्लो 2023 में किस दिशा में होगा, इसका भी सीधा असर शेयर बाजारों पर पड़ेगा. पिछले दो वर्षों के दौरान भारतीय शेयर बाजारों को देश के रिटेल इनवेस्टर्स यानी छोटे निवेशकों ने काफी हद तक संभाले रखा है. लेकिन नए साल में अगर FPI फिर से नेट सेलर बन गए, यानी उन्होंने खरीदने से ज्यादा बेचने पर जोर दिया और भारतीय बाजार से पूंजी निकालकर दूसरे देशों में लगाते रहे, तो बाजार पर इसका अच्छा असर नहीं पड़ेगा. हालांकि इसका दूसरा पहलू ये भी है कि अगर 2023 में दुनिया के कई अमीर देश आर्थिक मंदी के शिकार बने तो FPI के लिए भारत एक बेहतर डेस्टिनेशन साबित हो सकता है. वैसे तमाम मुश्किलों के बावजूद 2022 के दौरान भारतीय शेयर बाजार निवेशकों को कुछ न कुछ देकर ही गया है. तमाम उतार-चढ़ावों के बाद भी 2022 में सेंसेक्स 4.5 फीसदी और निफ्टी 4.33 फीसदी बढ़ा है.
5. कोविड 19 का असर
हम सबने देखा कि 2022 के आखिरी दिनों में किस तरह कोविड-19 की महामारी एक बार फिर से चर्चा में आ गई. नए साल में ये महामारी का ट्रेंड भी शेयर बाजारों को प्रभावित कर सकता है. खास तौर पर चीन में कोविड 19 वायरस के नए वैरिएंट के अचानक फैलने के कारण जिस तरह आर्थिक गतिविधियों पर लगाम लगी, उसने आर्थिक चिंताएं बढ़ा दी हैं. अब सबकी नजर इस बात पर रहेगी कि चीन की इकॉनमी कितनी जल्दी री-ओपन होकर पटरी पर लौटती है. ग्लोबल सप्लाई चेन और ट्रेड में चीन की जगह काफी अहम है, जिसका असर भारत समेत सारी दुनिया पर पड़ता है. जाहिर है कि यह फैक्टर भी नए साल में तमाम शेयर बाजारों को प्रभावित करेगा.
6. रूस-यूक्रेन की जंग
रूस-यूक्रेन की जंग भी एक और ऐसा ही अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम है, जो पिछले एक साल से सारी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर डाल रहा है. नए साल में दोनों देशों का टकराव जो भी रूप लेगा, उसका प्रभाव एग्रीकल्चर से लेकर उद्योगों तक और आर्थिक विकास दरों से लेकर शेयर बाजारों तक पर पड़ना भी तय ही है. हालांकि भारत ने इस जंग से पैदा हालात का मुकाबला कई विकसित देशों के मुकाबले बेहतर ढंग से किया है, फिर भी नए साल में बाजार की चाल पर नजर रखने वालों की निगाह इस अहम जियो-पोलिटिकल मसले पर भी जरूर बनी रहेगी.