SEBI Changes Stock Market Rules: अब स्टॉक एक्सचेंज के जरिए शेयर बायबैक नहीं हो सकेगा. कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी के निदेशक मंडल ने कंपनियों की ओर से स्टॉक एक्सचेंज के जरिये की जाने वाली शेयर बायबैक की व्यवस्था धीरे-धीरे खत्म करने का फैसला किया है. सेबी के निदेशक मंडल की बैठक में यह फैसला किया गया.. केकी मिस्त्री की रिपोर्ट में बताई गई सिफारिशों पर अमल करते हुए सेबी के बोर्ड ने ये फैसला किया है. मौजूदा समय में कंपनियां ओपन मार्केट से शेयरों को वापस खरीदती हैं, सेबी अब इस व्यवस्था को बदलने जा रहीर है. इसके अलावा भी मार्केट रेगुलेटर ने बाजार को लेकर कई नियमों में बदलाव किया है.
‘ग्रीनवॉशिंग’ पर लगेगा अंकुश
इसके अलावा ‘ग्रीनवॉशिंग’ पर अंकुश के लिए मानकों में संशोधन का फैसला भी किया गया. इसके तहत सेबी ने ब्लू बॉन्ड और येलो बॉन्ड की संकल्पना भी पेश की. सेबी की प्रमुख माधवी पुरी बुच ने कहा कि नियामक ने शेयर बाजार से शेयर बायबैक के तरीके में पक्षपात की आशंका को देखते हुए अब टेंडर ऑफर रूट को वरीयता देने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि स्टॉक एक्सचेंज के जरिये शेयर बायबैक करने की मौजूदा व्यवस्था को धीरे-धीरे खत्म किया जाएगा.
रकम के इस्तेमाल पर नियम
निदेशक मंडल ने यह भी तय किया है कि शेयर बायबैक से जुटाई गई राशि का 75 फीसदी हिस्सा कंपनियों को इस्तेमाल करना होगा. अभी तक यह सीमा 50 फीसदी ही थी. सेबी ने यह भी कहा कि मौजूदा व्यवस्था बने रहने तक बायबैक की प्रक्रिया के लिए एक्सचेंज पर एक अलग विंडो शुरू किया जाएगा.
क्यों लिया गया फैसला
बायबैक में शेयरों की खरीद मौजूदा बाजार भाव पर होने से अधिकांश शेयरधारकों के लिए शेयरों का स्वीकृत होना काफी हद तक संयोग पर निर्भर होता है. यह साफ नहीं होता है कि शेयरों को बायबैक के तहत लिया गया है या उन्हें ओपेन मार्केट में बेचा गया है. इसकी वजह से शेयरधारक बायबैक के लाभ का दावा भी नहीं कर पाते हैं. इन समस्याओं को देखते हुए सेबी के निदेशक मंडल ने शेयर बायबैक के नियमों में संशोधन को मंजूरी दे दी है.
म्यूचुअल फंड्स: क्या हुआ बदलाव
सेबी ने म्यूचुअल फंड योजनाओं के डायरेक्ट प्लान के लिए ‘सिर्फ क्रियान्वयन वाले मंच’ (ईओपी) का एक नियामकीय प्रारूप लाने का भी फैसला किया है. निवेश के आकर्षक साधन के तौर पर म्यूचुअल फंड योजनाओं का प्रसार बढ़ाने के लिए सेबी यह प्रारूप लाने वाला है. फिलहाल निवेश सलाहकार एवं शेयर ब्रोकर म्यूचुअल फंड योजनाओं के डायरेक्ट प्लान की खरीद और भुगतान जैसी सेवाएं देते हैं. लेकिन इनके लिए अभी कोई नियामकीय प्रारूप नहीं है. सेबी ने कहा कि नियामकीय प्रारूप आने से ईओपी के जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशकों को सहूलियत होगी.
FPI के रजिस्ट्रेशन का घटेगा समय
सेबी ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के रजिस्ट्रेशन में लगने वाले समय को घटाने और मार्केट में लगातार वित्त की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ग्रीनवॉशिंग पर अंकुश के मानकों में संशोधन का फैसला भी किया है. सेबी बोर्ड ने निवेश बाजार में भी बॉन्ड के रंग निर्धारित करने का फैसला किया. हरे रंग का बॉन्ड प्रदूषण नियंत्रण, पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों से जुड़े कर्ज के लिए होगा. जबकि नीले रंग का बॉन्ड जल प्रबंधन से जुड़े कर्ज के लिए और पीले रंग के बॉन्ड सौर ऊर्जा से जुड़े कर्ज के लिए होंगे.
सुधरेगा शेयर बाजारों का कामकाज
सेबी ने शेयर मार्केट में कामकाज के तरीके को सुधारने के लिए कुछ मूलभूत बदलाव करने का फैसला भी किया है. इनमें सबसे बड़ा फैसला स्टॉक एक्सचेंज के काम को तीन हिस्सों में बांटना है. इसके अलावा आम निवेशकों के हित की पैरवी करने वाले डायरेक्टर्स की नियुक्ति को तर्कसंगत बनाना भी इसमें शामिल है.