Rupee Crashes Further Against Dollar : अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट का सिलसिला सोमवार 18 जुलाई को भी जारी रहा. इंट्रा डे कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी ने पहली बार 80 का आंकड़ा भी छू लिया. हालांकि कारोबार बंद होने तक इसमें कुछ सुधार हुआ और पिछले कारोबारी दिन के मुकाबले यह 16 पैसे की गिरावट के साथ 79.98 पर बंद हुआ. दिन की शुरुआत में डॉलर के मुकाबले रुपया 79.76 पर खुला था.
जानकारों की राय में सोमवार को रुपये में गिरावट के लिए क्रूड ऑयल यानी कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के अलावा विदेशी फंड्स का देश से लगातार बाहर पैसे भेजना ही सबसे बड़ी वजह हैं. इंटरबैंक फॉरेक्स मार्केट में भारतीय करेंसी सुबह डॉलर के मुकाबले 79.76 पर खुली, लेकिन जल्द ही इस पर बिकवाली का दवाब नजर आने लगा. दोपहर करीब 12 बजे इसने 80 का मनोवैज्ञानिक आंकड़ा छू लिया. इसके बाद दिन के कारोबार के दौरान बेहद थोड़े समय के लिए ही यह स्तर फिर से देखने को मिला. बाजार बंद होने तक रुपया मामूली रूप से संभला और 79.98 पर बंद हुआ. हालांकि यह आंकड़ा भी 80 के बेहद करीब है. इसके पिछले कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 17 पैसे की बढ़त के साथ 79.82 पर बंद हुआ था.
79.79 से 80.20 के बीच रह सकता है रुपया
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज़ के फॉरेक्स एनालिस्ट गौरांग सोमैया के मुताबिक शुक्रवार को आए सुधार के बावजूद रुपये पर दबाव बना हुआ था. फेडरल रिजर्व के नई पॉलिसी के एलान से पहले बाजार के खिलाड़ी सावधानी बरत रहे हैं. सोमैया का कहना है कि आने वाले दिनों में डॉलर के मुकाबले रुपये का स्पॉट रेट शॉर्ट टर्म में 79.79 से 80.20 के बीच रह सकता है.
रिलायंस सिक्योरिटी के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट श्रीराम अय्यर का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और भारत से विदेशी फंड्स द्वारा लगातार देश से बाहर पूंजी भेजने की वजह से रुपये पर दबाव बढ़ गया है. इसी का परिणाम भारतीय मुद्रा में गिरावट के रूप में देखने को मिल रहा है. हालांकि सोमवार को रुपये के अलावा कई और एशियाई मुद्राओं में कुछ सुधार देखने को मिला.
सोमवार को दोपहर में एशियाई बाजारों में डॉलर इंडेक्स में कुछ कमजोरी दिखाई दे रही थी. 6 मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी करेंसी के प्रदर्शन का संकेत देने वाला डॉलर इंडेक्स 0.58 फीसदी की कमजोरी के साथ 107.47 पर ट्रेड कर रहा था. अय्यर के मुताबिक ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के कई अधिकारियों ने ऐसे संकेत दिए थे कि वे ब्याज दरों में बढ़ोतरी की तेज रफ्तार से खुश नहीं हैं. भारतीय कैपिटल मार्केट में विदेशी संस्थागत निवेशक यानी FII सोमवार को भी नेट सेलर ही बने रहे और 1649.36 करोड़ रुपये के शेयरों की शुद्ध बिक्री की.
(इनपुट – पीटीआई)