रिलायंस इंडस्ट्रीज, विप्रो और एचडीएफसी बैंक जैसी प्रमुख कंपनियों के चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के नतीजों और मैक्रो इकोनॉमिक आंकड़ों से इस सप्ताह बाजार की चाल तय होगी. विश्लेषकों ने कहा कि निवेशक व्यापार विवाद से जुड़े घटनाक्रमों और रुपये व कच्चे तेल के उतार-चढ़ाव पर भी नजर रखेंगे.
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘व्यापार विवाद, तिमाही नतीजों का उम्मीद के अनुरूप नहीं रहना निकट अवधि में खराब प्रदर्शन का कारण बनेंगे. आने वाले सप्ताह में, बाजार 2019-20 की पहली तिमाही के कंपनियों के नतीजों पर प्रतिक्रिया देना शुरू कर देगा.’’ एपिक रिसर्च के सीईओ मुस्तफा नदीम ने कहा, ‘‘मूल रूप से निवेशकों की नजर महत्वपूर्ण आंकड़ों जैसे थोक महंगाई पर रहेगी. इसके अलावा व्यापार मोर्चे पर तनाव और अमेरिकी उत्पादों पर भारत की ओर से शुल्क समेत वैश्विक बाजारों से मिलने वाले संकेतों पर भी निवेशकों की नजर रहेगी.’’ शुक्रवार को जारी मैक्रो इकोनॉमिक आंकड़ों का भी बाजार पर जोर रहेगा.
जून में खुदरा महंगाई 3.18%
खनन और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्रों के कमजोर प्रदर्शन की वजह से औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) की वृद्धि दर मई महीने में घटकर 3.1 प्रतिशत पर आ गई है. इसके अलावा, खुदरा मुद्रास्फीति लगातार छठे महीने तेजी के रुख के साथ जून में बढ़कर 3.18 प्रतिशत पर पहुंच गई. इसकी अहम वजह अनाज, दाल और मांस एवं मछली जैसे प्रोटीन समृद्ध खाद्य वस्तुओं के दाम में बढ़ोतरी है.
सोमवार को आएंगे थोक महंगाई के आंकड़े
कैपिटल एम के शोध प्रमुख रोमेश तिवारी ने कहा, ‘‘आने वाले हफ्ते में भारत में सोमवार को थोक महंगाई के आंकड़े आने हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर मंगलवार को अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पावेल की प्रतिक्रिया आनी है. विप्रो और येस बैंक के तिमाही नतीजे भी इस सप्ताह आने हैं.