
Mentha Oil Prices Today: मेंथा ऑयल में सोमवार यानी 8 मार्च को अच्छी खरीददारी देखने को मिल रही है. आज के कारोबार में मेंथा करीब आधा फीसदी मजबूत होकर 958.80 रुपये प्रति किलो के भाव पर पहुंच गया. इसके पहले शुक्रवार को मेंथा में 0.41 फीसदी तेजी रही है और यह 954 रुपये के भाव पर सेटल हुआ था. गुरूवार को मेंथा में 0.4 फीसदी की गिरावट रही थी और यह 950.1 रुपये प्रति किलो के भाव पर बंद हुआ. एक्सपर्ट का कहना है कि मेंथा को लेकर सेंटीमेंट अभी नॉर्मल नहीं हैं. घरेलू और एक्सपोर्ट लेवल पर डिमांड सामान्य नहीं है. पैदावार ज्यादा रहीने की उम्मीद है. ऐसे में ट्रेडर्स सतर्क हैं. शॉर्ट टर्म की बात करें तो मेंथा में गिरावट आने पर ही खरीददारी करनी चाहिए.
पिछले दिनों मेंथा की चाल
शुक्रवार को मेंथा में 0.41 फीसदी तेजी रही है और यह 954 रुपये के भाव पर सेटल हुआ था. गुरूवार को मेंथा में 0.4 फीसदी की गिरावट रही थी और यह 950.1 रुपये प्रति किलो के भाव पर सेटल हुआ था. बुधवार को मेंथा में करीब 0.34 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी और यह 953.9 रुपये प्रति किलो के भाव पर सेटल हुआ था. मंगलवार को मेंथा में करीब 1 फीसदी की तेजी देखने को मिली थी और यह 957.2 रुपये प्रति किलो के भाव पर सेटल हुआ था. सोमवार को मेंथा 0.37 फीसदी गिरावट के साथ 948.50 रुपये प्रति किलो के भाव पर सेटल हुआ था.
मेंथा में कैसे बनाएं स्ट्रैटेजी
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार आज की बात करें तो मेंथा में 949.7 रुपये प्रति किलो के भाव पर सपोर्ट है. यह लेवल टूटा तो मेंथा 945.3 रुपये तक का भाव देख सकता है. वहीं उपर की ओर मेंथा में 957.7 रुपये का रेजिस्टेंस लेवल था, जो आज टूट गया है. ऐसे में मेंथा आगे 961.3 रुपये तक मजबूत हो सकता है. मेंथा में अगर गिरावट आए तो 940 रुपये के आस पास 970 रुपये का लक्ष्य बनाकर खरीददारी करें.
मेंथा का इंडस्ट्रियल इस्तेमाल
मेंथा ऑयल का इस्तेमाल फार्मा इंडस्ट्री, कास्मेटिक इंडस्ट्री, एफएमसीजी सेक्टर के साथ ही कंफेक्शनरी उत्पादों में सबसे ज्यादा होता है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा मेंथा ऑयल उत्पादक और निर्यातक है. मेंथा ऑयल की सबसे ज्यादा पैदावार यूपी में होती है. देश में होने वाले कुल मेंथा ऑयल के उत्पादन में यूपी की हिस्सेदारी करीब 80 फीसदी है.
पिछले सीजन में मेंथा ऑयल का उत्पादन काफी ज्यादा रहा था. बाजार सूत्रों के अनुसार इस साल पैदावार 40 फीसदी ज्यादा रहकर 52,000-56,000 टन के बीच रह सकती है. इस वजह से मेंथा की उपलब्धता बहुत ज्यादा रही और कीमतों में ज्यादा तेजी नहीं आ सकी. देश में पैदा होने वाला लगभग 75 फीसदी मेंथा ऑयल का निर्यात किया जाता है. इसलिए घरेलू से ज्यादा विदेशी मांग कीमतों को तय करने में बड़ी भूमिका निभाती है.
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