
Mentha Oil Prices Today: मेंथा ऑयल में जोरदार तेजी के बाद सोमवार को मुनाफा वसूली देखने को मिली. सोमवार को मेंथा 0.46 फीसदी टूटकर 1004.1 रुपये के भाव पर सेटल हुआ. जबकि सोमवार को इंट्राडे में मेंथा 1016 रुपये के भाव पर पहुंच गया था. आज मेंथा में निचले सतरों से हल्की तेजी है और यह 1.5 रुपये मजबूत होकर 1005.60 रुपये प्रति किलो पर ट्रेड कर रहा है. बीते हफ्ते के अंत में मेंथा 1008.7 रुपये प्रति किलो के भाव पर बंद हुआ था. एक्सपर्ट का कहना है कि अब घरेलू और ग्लोबल बाजारों में मेंथा की डिमांड बढ़ने की उम्मीद है. ऐसे में इसे लेकर सेंटीमेंट सुधर रहे हैं. लंबी अवधि में मेंथा अगले 6 महीनों में 1300 रुपये का भाव छू सकता है.
ब्रोकरेज फर्म केडिया एडवाइजरी के एमडी अजय केडिया का ग्लोबली एरोमा केमिकल मार्केट में अब मेंथा की मांग बढ़ने की उम्मीद है. वैसे भी यह बाजार तेजी से ग्रोथ करता हुआ बाजार है. घरेलू स्तर पर भी फ्रेग्नेंस इंडस्ट्री की ओर से डिमांड अब आ रही है. ठंड का मौसम बढ़ने से उपभोक्ता उद्योगों की मांग में इजाफा हो रहा है. इसके अलावा चीन की तरफ से भी निर्यात मांग में इजाफा दिखा है. इससे आगे कीमतों में तेजी का अनुमान है.
मेंथा में कैसे करें कमाई
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि आज की बात करें तो मेंथा को नीचे की ओर 996.2 रुपये के भाव पर सपोर्ट है. यह स्तर ब्रेक होने पर मेंथा 988.3 रुपये प्रति किलो और यह स्तर भी ब्रेक होने पर 976.4 रुपये प्रति किलो के भाव पर आ सकता है. वहीं उपर की ओर मेंथा को 1016 रुपये पर रेजिस्टेंस है. यह स्तर टूटने पर मेंथा 1027.9 रुपये और यह स्तर भी टूट जाने पर मेंथा 1035.8 रुपये प्रति किलो तक मजबूत हो सकता है. शॉर्ट टर्म में गिरावट कुछ बढ़े तो 990 से 1000 के स्तर से अगले एक से दो दिनों में 1030 से 1040 रुपये का लक्ष्य लेकर खरीददारी की जा सकती है.
मेंथा का कहां होता है इस्तेमाल
मेंथा ऑयल का इस्तेमाल फार्मा इंडस्ट्री, कास्मेटिक इंडस्ट्री, एफएमसीजी सेक्टर के साथ ही कंफेक्शनरी उत्पादों में सबसे ज्यादा होता है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा मेंथा ऑयल उत्पादक और निर्यातक है. मेंथा ऑयल की सबसे ज्यादा पैदावार यूपी में होती है. देश में होने वाले कुल मेंथा ऑयल के उत्पादन में यूपी की हिस्सेदारी करीब 80 फीसदी है.
पिछले सीजन में मेंथा ऑयल का उत्पादन काफी ज्यादा रहा था. बाजार सूत्रों के अनुसार इस साल पैदावार 40 फीसदी ज्यादा रहकर 52,000-56,000 टन के बीच रह सकती है. इस वजह से मेंथा की उपलब्धता बहुत ज्यादा रही और कीमतों में ज्यादा तेजी नहीं आ सकी. देश में पैदा होने वाला लगभग 75 फीसदी मेंथा ऑयल का निर्यात किया जाता है. इसलिए घरेलू से ज्यादा विदेशी मांग कीमतों को तय करने में बड़ी भूमिका निभाती है.
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