
Mentha Oil Prices Today: मेंथा ऑयल में गिरावट का सिलसिला जारी है. 3 दिनों से चल 21 जनवरी को मेंथा आयल टूटकर 960 रुपये पति किलो के नीचे चला गया. इसके पहले बुधवार को मेंथा में 1 फीसदी से ज्यादा कमजोरी रही है और यह 962 रुपये प्रति किलो के भाव पर सेटल हुआ था. मेंथा में यह गिरावट इस पूरे सप्ताह देखने को मिली है. इससे पहले मंगलवार को मेंथा करीब 0.60 फीसदी कमजोर होकर 972.1 रुपये प्रति किलो पर बंद हुआ था. एक्सपर्ट का कहना है कि इंडस्ट्रियल डिमांड उम्मीद से कमजोर है. हाजिर बाजार में डिमांड नहीं आ रही है, ऐसे में ट्रेडर्स सतर्क हैं. हालांकि लंबी अवधि के नजरिए से देखें तो मौजूदा भाव को आकर्षक दिख रहा है.
पिछले दिनों मेंथा की चाल
बुधवार को मेंथा में 1 फीसदी से ज्यादा कमजोरी रही है और यह 962 रुपये प्रति किलो के भाव पर सेटल हुआ था. मंगलवार को मेंथा करीब 0;60 फीसदी कमजोर होकर 972.1 रुपये प्रति किलो पर बंद हुआ था. सोमवार को मेंथा करीब 1 फीसदी टूटकर 977.8 रुपये प्रति किलो के भाव पर बंद हुआ था. शुक्रवार को मेंथा में 0.8 फीसदी की गिरावट रही थी और यह 986.9 रुपये प्रति किलो के भाव पर बंद हुआ था. गुरूवार को मेंथा 0.13 फीसदी की तेजी के साथ 994.8 रुपये प्रति किलो पर सेटल हुआ था. बुधवार को मेंथा 0.41 फीसदी की तेजी के साथ 993.5 रुपये के भाव सेटल हुआ था.
मेंथा में कैसे करें ट्रेडिंग
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार अभी मेंथा को नीचे की ओर 958 रुपये पर सपोर्ट है. यह भाव टूटता है तो मेंथा 954.3 रुपये तक कमजोर हो सकता है. यह लेवल भी टूटने पर मेंथा 948.5 रुपये तक कमजोर हो सकता है. वहीं उपर की ओर मेंथा में 967.9 रुपये के भाव पर रेजिस्टेंस है. यह भाव टूटता है तो मेंथा 973.7 रुपये प्रति किलो तक पहुंच सकता है. उपर यह लेवल क्रॉस होने पर मेंथा 977.6 रुपये तक मजबूत हो सकता है.
मेंथा की इंडस्ट्रियल डिमांड
मेंथा ऑयल का इस्तेमाल फार्मा इंडस्ट्री, कास्मेटिक इंडस्ट्री, एफएमसीजी सेक्टर के साथ ही कंफेक्शनरी उत्पादों में सबसे ज्यादा होता है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा मेंथा ऑयल उत्पादक और निर्यातक है. मेंथा ऑयल की सबसे ज्यादा पैदावार यूपी में होती है. देश में होने वाले कुल मेंथा ऑयल के उत्पादन में यूपी की हिस्सेदारी करीब 80 फीसदी है.
पिछले सीजन में मेंथा ऑयल का उत्पादन काफी ज्यादा रहा था. बाजार सूत्रों के अनुसार इस साल पैदावार 40 फीसदी ज्यादा रहकर 52,000-56,000 टन के बीच रह सकती है. इस वजह से मेंथा की उपलब्धता बहुत ज्यादा रही और कीमतों में ज्यादा तेजी नहीं आ सकी. देश में पैदा होने वाला लगभग 75 फीसदी मेंथा ऑयल का निर्यात किया जाता है. इसलिए घरेलू से ज्यादा विदेशी मांग कीमतों को तय करने में बड़ी भूमिका निभाती है.
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