
Mentha Oil Prices Today: मेंथा ऑयल में 2 दिनों से तेज बिकवाली देखने को मिल रही है. मंगलवार 19 जनवरी को मेंथा तेज गिरावट के साथ 970 रुपये प्रति किलो के भाव तक कमजोर हुआ है. इसके पहले सोमवार 18 जनवरी को मेंथा करीब 1 फीसदी टूटकर 977.8 रुपये प्रति किलो के भाव पर बंद हुआ था. पिछले कुछ दिनों से मेंथा में लगातार दबाव बना हुआ है. दिसंबर महीने की तेजी के बाद से ही इसमें लगातार कमजोरी आई है. जनवरी की बात करें तो शुरूआती दिनों में मेंथा ने 1000 रुपये का भाव पार किया था, लेकिन यह तेजी कायम नहीं रह पाई. हालांकि एक्सपर्ट मौजूदा भाव को लंबी अवधि के लिए आकर्षक माने रहे हैं.
पिछले दिनों मेंथा की चाल
सोमवार 18 जनवरी को मेंथा करीब 1 फीसदी टूटकर 977.8 रुपये प्रति किलो के भाव पर बंद हुआ था. शुक्रवार को मेंथा में 0.8 फीसदी की गिरावट रही थी और यह 986.9 रुपये प्रति किलो के भाव पर बंद हुआ था. गुरूवार को मेंथा 0.13 फीसदी की तेजी के साथ 994.8 रुपये प्रति किलो पर सेटल हुआ था. बुधवार को मेंथा 0.41 फीसदी की तेजी के साथ 993.5 रुपये के भाव सेटल हुआ था. मंगलवार को मेंथा फ्लैट 989.4 रुपये प्रति किलो के भाव पर बंद हुआ. सोमवार को भी मेंथा 0.68 फीसदी की गिरावट के साथ 989.4 रुपये पर ही बंद हुआ था.
मेंथा में कैसे करें ट्रेडिंग
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टहर अजय केडिया का कहना है कि जनवरी में इंडस्ट्रियल डिमांड कमजोर है. हाजिर बाजार में मांग सुस्त है. लेबर की कमी और सप्लाई डिसरप्सन भी कीमतों पर दबाव बढ़ा रहे हैं. अभी मेंथा को नीचे की ओर 964.6 रुपये पर सपोर्ट है. यह भाव टूटता है तो मेंथा 951.3 रुपये तक कमजोर हो सकता है. यह भाव भी ब्रेक होने पर मेंथा 926.6 रुपये पर आ सकता है. वहीं उपर की ओर मेंथा में 1002.6 रुपये के भाव पर रेजिस्टेंस है. यह भाव टूटता है तो मेंथा 1027.3 रुपये प्रति किलो तक पहुंच सकता है. उपर यह लेवल क्रॉस होने पर मेंथा 1040.6 रुपये तक मजबूत हो सकता है.
मेंथा की इंडस्ट्रियल डिमांड
मेंथा ऑयल का इस्तेमाल फार्मा इंडस्ट्री, कास्मेटिक इंडस्ट्री, एफएमसीजी सेक्टर के साथ ही कंफेक्शनरी उत्पादों में सबसे ज्यादा होता है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा मेंथा ऑयल उत्पादक और निर्यातक है. मेंथा ऑयल की सबसे ज्यादा पैदावार यूपी में होती है. देश में होने वाले कुल मेंथा ऑयल के उत्पादन में यूपी की हिस्सेदारी करीब 80 फीसदी है.
पिछले सीजन में मेंथा ऑयल का उत्पादन काफी ज्यादा रहा था. बाजार सूत्रों के अनुसार इस साल पैदावार 40 फीसदी ज्यादा रहकर 52,000-56,000 टन के बीच रह सकती है. इस वजह से मेंथा की उपलब्धता बहुत ज्यादा रही और कीमतों में ज्यादा तेजी नहीं आ सकी. देश में पैदा होने वाला लगभग 75 फीसदी मेंथा ऑयल का निर्यात किया जाता है. इसलिए घरेलू से ज्यादा विदेशी मांग कीमतों को तय करने में बड़ी भूमिका निभाती है.
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