
Mentha Oil Prices Today: मेंथा ऑयल में बड़ी गिरावट के बाद आज निचले स्तरों से खरीददारी देखने को मिल रही है. 17 फरवरी के कारोबार में मेंथा आयल करीब 4.50 रुपये महंगा होकर 957 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गया है. इसके पहले मंगलवार को मेंथा में 1.23 फीसदी की कमजोरी रही थी और यह 952.5 रुपये प्रति किलो के भाव पर सेटल हुआ था. सोमवार को भी मेंथा में 0.51 फीसदी की गिरावट रही और यह 964.4 रुपये प्रति किलो के भाव पर बंद हुआ था. एक्सपर्ट का कहना है कि गिरावट के बाद मेंथा में कुछ बॉइंग दिख रही है. हालांकि हाजिर बाजार में मांग सुस्त है. सपोट्र करने वाली बात यह है कि मेंथा की पैदावार में देरी होगी, जिससे आगे भाव में कुछ तेजी आएगी. उनका कहना है कि मौजूदा भाव आकर्षक है, कुछ गिरावट आए तो शॉर्ट टर्म के लिए खरीददारी की जा सकती है.
पिछले दिनों मेंथा की चाल
मंगलवार को मेंथा में 1.23 फीसदी की कमजोरी रही थी और यह 952.5 रुपये प्रति किलो के भाव पर सेटल हुआ था. सोमवार को मेंथा में 0.51 फीसदी की गिरावट रही और यह 964.4 रुपये प्रति किलो के भाव पर सेटल हुआ था. पिछले हफ्ते शुक्रवार को मेंथा में 0.75 फीसदी की अच्छी तेजी रही थी और यह 964 रुपये प्रति किलो के भाव पर सेटल हुआ था. गुरूवार को भी मेंथा 0.22 फीसदी बढ़त के साथ 962.1 रुपये प्रति किलो पर सेटल हुआ था. बुधवार को मेंथा में 0.31 फीसदी की तेजी रही था और यह 960 रुपये प्रति किलो के भाव पर सेटल हुआ था.
मेंथा में कैसे बनाएं स्ट्रैटेजी
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार अगले कुछ दिन की बात करें तो मेंथा में 941.4 रुपये प्रति किलो के भाव पर सपोर्ट है. यह लेवल टूटने पर मेंथा 930.2 रुपये तक कमजोर हो सकता है. वहीं उपर की ओर मेंथा में 964.9 रुपये के भाव पर रेजिस्टेंस है. यह लेवल टूटने पर मेंथा 977.2 रुपये तक मजबूत हो सकता है. अगले कुछ दिनों की बात करें तो मेंथा अगर 950 रुपये के लेवल में आए तो 970 से 980 रुपये का लक्ष्य बनाकर खरीददारी करनी चाहिए.
मेंथा का इंडस्ट्रियल इस्तेमाल
मेंथा ऑयल का इस्तेमाल फार्मा इंडस्ट्री, कास्मेटिक इंडस्ट्री, एफएमसीजी सेक्टर के साथ ही कंफेक्शनरी उत्पादों में सबसे ज्यादा होता है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा मेंथा ऑयल उत्पादक और निर्यातक है. मेंथा ऑयल की सबसे ज्यादा पैदावार यूपी में होती है. देश में होने वाले कुल मेंथा ऑयल के उत्पादन में यूपी की हिस्सेदारी करीब 80 फीसदी है.
पिछले सीजन में मेंथा ऑयल का उत्पादन काफी ज्यादा रहा था. बाजार सूत्रों के अनुसार इस साल पैदावार 40 फीसदी ज्यादा रहकर 52,000-56,000 टन के बीच रह सकती है. इस वजह से मेंथा की उपलब्धता बहुत ज्यादा रही और कीमतों में ज्यादा तेजी नहीं आ सकी. देश में पैदा होने वाला लगभग 75 फीसदी मेंथा ऑयल का निर्यात किया जाता है. इसलिए घरेलू से ज्यादा विदेशी मांग कीमतों को तय करने में बड़ी भूमिका निभाती है.
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