नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने आज सोमवार को रिलायंस इन्फ्राटेल (RITL) के अधिग्रहण के लिए Jio को अपनी मंजूरी दे दी है. ट्रिब्यूनल ने जियो को आरकॉम के टावर और फाइबर संपत्तियों के अधिग्रहण को पूरा करने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) एस्क्रो खाते में 3,720 करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहा है. जियो ने रिलायंस इन्फ्राटेल के अधिग्रहण को पूरा करने के लिए 6 नवंबर को एक एस्क्रो खाते में 3,720 करोड़ रुपये डिपॉजिट करने का प्रस्ताव दिया था. रिलायंस इन्फ्राटेल दरअसल इनसॉल्वेंसी रिज़ॉल्यूशन प्रक्रिया का सामना कर रही है.
Earthquake in Indonesia: भूकंप से हिला इंडोनेशिया, जावा में कम से कम 56 की मौत, 700 लोग घायल
मुकेश अंबानी ने लगाई थी 3,720 करोड़ की बोली
उद्योगपति मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली जियो ने नवंबर, 2019 में अपने छोटे भाई अनिल अंबानी के प्रबंधन वाली कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (Reliance Communications) की कर्ज में डूबी सब्सिडियरी कंपनी की टावर और फाइबर संपत्तियां हासिल करने के लिए 3,720 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. क्रेडिटर्स की समिति (CoC) ने जियो की रिज़ॉल्यूशन प्लान को 4 मार्च, 2020 को 10 फीसदी वोट के साथ मंजूरी दे दी थी.
जियो की सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस प्रोजेक्ट्स एंड प्रॉपर्टी मैनेजमेंट सर्विसेज द्वारा दायर एक आवेदन के अनुसार, राशि के वितरण और ‘नो ड्यू’ सर्टिफिकेट जारी करने की कार्यवाही लंबित होने के कारण रिज़ॉल्यूशन प्लान को इंप्लीमेंट करने में देरी हो रही है. कंपनी ने पिछले महीने NCLT से कहा, “इस तरह की देरी से कॉरपोरेट कर्जदार (रिलायंस इंफ्राटेल) के साथ-साथ रिज़ॉल्यूशन आवेदक (जियो) के हितों को गंभीर नुकसान हो रहा है.”
आरआईटीएल के पास देश भर में लगभग 1.78 लाख रूट किलोमीटर की फाइबर संपत्ति और 43,540 मोबाइल टावर है. बता दें कि आरआईटीएल आरकॉम की टावर और फाइबर संपत्तियों की होल्डिंग कंपनी है.
(इनपुट-पीटीआई)