Adani Empire Deeply Over-leveraged: देश के सबसे अमीर शख्स गौतम अडाणी (Gautam Adani) का अडाणी ग्रुप (Adani Group) पर कर्ज का भारी बोझ है. यह ग्रुप लगातार मौजूदा और नए कारोबार में आक्रामक तरीके से निवेश कर रहा है, जिसकी फंडिंग मुख्य रूप से कर्ज के जरिए हो रही है. इस वजह से यह ग्रुप Deeply Overleveraged यानी बहुत ज्यादा कर्जदार हो चुका है. ये बातें अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग और रिसर्च कंपनी फिच ग्रुप (Fitch Group) की एक इकाई क्रेडिटसाइट्स (CreditSights) ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में कही हैं. इस रिपोर्ट में अडाणी ग्रुप पर भारी कर्ज का जिक्र करते हुए आशंका जताई गई है कि हालात बिगड़ने पर यह समूह कर्ज के जाल (Debt Trap) में फंस सकता है और डिफॉल्टर भी हो सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक अडाणी ग्रुप की कंपनियों पर कुल मिलाकर 2.3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है.
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बैंकों और सरकार से बेहतर संबंध राहत की बात : क्रेडिटसाइट्स
हालांकि फिच (Fitch) ग्रुप की डेट रिसर्च यूनिट क्रेडिटसाइट्स (CreditSights) ने अपनी रिपोर्ट में अडाणी ग्रुप पर कर्ज के भारी बोझ के बारे में चिंता जाहिर करने के साथ ही यह भी कहा है कि इस उद्योग समूह के भारतीय बैंकों और सरकार के साथ बेहतर संबंध हैं, जो उसके लिए राहत की बात है. अडाणी ग्रुप के प्रतिनिधियों ने इस रिपोर्ट के बारे में अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है. यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अडाणी ग्रुप टेलिकॉम, सीमेंट, बिजली से लेकर लांग-टर्म इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े तमाम प्रोजेक्ट्स में लगातार बड़े-बड़े निवेश कर रहा है. मंगलवार 23 अगस्त को अडाणी ग्रुप की सभी सातों लिस्टेड कंपनियों के शेयर 2 से 7 फीसदी तक फिसल गए.
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Adani Group को लेकर रिपोर्ट में ये बातें
- दिग्गज कारोबारी गौतम अडाणी का अडाणी ग्रुप भारी कर्ज के बोझ में है. यह ग्रुप लगातार आक्रामक तरीके से पुराने और नए कारोबार में निवेश कर रहा है. निवेश के लिए अधिकतम पूंजी कर्ज से जुटाई गई है.
- आक्रामक तरीके से लगातार भारी निवेश करने से कंपनी के क्रेडिट और कैश फ्लो पर दबाव बन गया है. इसके चलते हालात बिगड़ने पर इसके डिफॉल्टर होने का भी खतरा है.
- इस ग्रुप की कंपनियों पर कर्ज का भारी बोझ ऐसे दौर में है जब ब्याज दरें बढ़ रही हैं, जिससे यह जोखिम और गंभीर हो सकता है. इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्टर प्रोजेक्ट्स लंबे समय के हैं जिनमें भविष्य में और निवेश की जरूरत पड़ सकती है.
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- क्रेडिटसाइट्स के एनालिस्ट्स के मुताबिक गौतम अडाणी की गैर-मौजूदगी में सीनियर मैनेजमेंट की क्षमता ग्रुप के लिए पर्याप्त नहीं होगी, जिसके चलते अडाणी ग्रुप को एनालिस्ट्स ने ‘हाई की-मैन रिस्क’ की कैटेगरी में रखा है.
- अडाणी ग्रुप कई ऐसे नए कारोबार में कदम रख रहा है, जिनमें पूंजी की जरूरत बहुत अधिक है और जिसके बारे में उसे अब तक अनुभव नहीं रहा है.
- रेटिंग एजेंसी के मुताबिक अडाणी ग्रुप की कंपनियों में प्रमोटर का निवेश बेहद कम रहा है, जो कर्ज के भारी बोझ को कम करने के लिए बहुत जरूरी है.
(Input- Bloomberg)