India Ratings Growth Forecast: कोरोना महामारी की दूसरी लहर का असर देश के आर्थिक विकास दर पर भी नज़र आने लगा है. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत की ग्रोथ रेट का अनुमान घटाकर 10.1 फीसदी कर दिया है. जबकि इससे पहले इसी एजेंसी ने ग्रोथ रेट 10.4 फीसदी रहने की उम्मीद जाहिर की थी. इंडिया रेटिंग्स ने ग्रोथ रेट के अनुमान में कटौती के लिए कोविड-19 इंफेक्शन की दूसरी लहर और देश में टीकाकरण की धीमी रफ्तार को जिम्मेदार बताया है.
मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर बढ़ता दबाव चिंताजनक
एजेंसी ने कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से देश के ज्यादातर इलाकों में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर पड़ रहे दबाव पर चिंता जाहिर की है. साथ यह अनुमान भी लगाया है कि महामारी की दूसरी लहर मई के दूसरे-तीसरे सप्ताह तक कम होने लगेगी. इससे पहले अप्रैल की शुरुआत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने उम्मीद जाहिर की थी कि मौजूदा वित्त वर्ष में देश की विकास दर 10.5 फीसदी के आसपास बनी रहेगी. हालांकि इसके साथ ही रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह चेतावनी भी भी दी थी कि कोरोना के बढ़ते मामले आर्थिक रिकवरी की राह में सबसे बड़ी बाधा साबित हो सकते हैं.
इंफेक्शन पिछले साल से ज्यादा, लेकिन आर्थिक नुकसान कम होगा
इंडिया रेटिंग्स का कहना है कि कोरोना की पिछली लहर के मुकाबले इस बार नए इंफेक्शन की संख्या तीन गुने से भी ज्यादा है. लेकिन इकॉनमी पर इसका उतना बुरा असर नहीं पड़ेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार बड़े पैमाने पर लॉकडाउन किए जाने के आसार नहीं हैं. लॉकडाउन होंगे भी तो स्थानीय स्तर पर ही होंगे. इसके अलावा वैक्सीनेशन के कारण भी आर्थिक गतिविधियां उस हद तक ठप नहीं होंगी, जैसी पिछले साल हुई थीं. कई और ब्रोकरेज और आर्थिक विश्लेषक भी महामारी की दूसरी लहर के मद्देनज़र ग्रोथ रेट के अनुमानों में कटौती कर रहे हैं. मार्च में खत्म हुए पिछले वित्त वर्ष यानी 2020-21 के दौरान देश की अर्थव्यवस्था में 7.6 फीसदी की गिरावट आने का अनुमान है.
विकास दर से ज्यादा बुरा हाल महंगाई के मोर्चे पर है
हालांकि एजेंसी ने यह भी कहा है कि विकास दर से ज्यादा चिंताजनक स्थिति महंगाई के मोर्चे पर है. इंडिया रेटिंग्स के मुताबिक लोगों की आय में बढ़ोतरी नहीं हुई है, ऐसे में महंगाई बढ़ने से उनकी जेब में खर्च करने के लिए कम पैसे रह जाएंगे. इससे कंज्यूमर डिमांड यानी उपभोक्ता मांग कम होगी. आखिरकार इसका असर प्राइवेट कॉरपोरेट इनवेस्टमेंट के रिवाइवल पर पड़ेगा. एजेंसी ने मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान खुदरा महंगाई दर 5 फीसदी और थोक महंगाई दर 5.9 फीसदी के आसपास बने रहने का अनुमान जाहिर किया है. एजेंसी का मानना है कि सरकार राजकोषीय घाटे का 6.8 फीसदी का टारगेट भी तभी पूरा कर सकती है, जब उसका विनिवेश का भारी-भरकम लक्ष्य पूरा हो जाए.