
Top 5 sectors to watch out for in FY2022: बजट 2021 के बाद से भारतीय शेयर बाजारों में जोरदार तेजी देखी जा रही है. पिछले एक हफ्ते में शेयर बाजार 9 फीसदी से अधिक उछल चुका है. निफ्टी ने 15 हजार का स्तर भी छू लिया है. ऐसे में एक अहम सवाल यह है कि बाजार जब नए रिकॉर्ड बना रहा है तो क्या यह बाजार में निवेश का शानदार मौका है, या अभी इंतजार करना सही है? या कहें, कि निवेशकों को किन सेक्टर्स पर नजर रखनी चाहिए? एक्सपर्ट का मानना है कि बजट 2021 के निचोड़ को देखें तो साफ है कि बजट का मूल फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर और हेल्थकेयर सेक्टर है. इसलिए इन सेक्टर्स में ग्रोथ आ सकती है. इसके अलावा कुछ ऐसे भी सेक्टर हैं, जिनमें तेजी की उम्मीद जताई जा रही है, जैसेकि स्क्रैपेज पॉलिसी के एलान के बाद ऑटोमोबाइल सेक्टर अच्छा प्रदर्शन कर सकता है.
एंजेल ब्रोकिंग लिमिटेड के डीवीपी-इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट ज्योति रॉय का कहना है कि बजट के बाद हमारे सामने साल भर के लिए आर्थिक रोडमैप आ चुका है. सरकार ने 9.5% के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के साथ सबको चौंका दिया क्योंकि यह विकास को रिवाइव करने के लिहाज से अहम है. कैपिटल मार्केट पर इसका इसर देखा गया और बाजार ने नया ऑल-टाइम हाई छू लिया. बजट के बाद निवेश के लिहाज से निवेशक को वित्त वर्ष 2022 में 5 सेक्टर्स पर नजर रखनी चाहिए. इनमें ऑटोमोबाइल, फार्मा, बीएफसीआई, मैन्युफैक्चरिंग और गोल्ड एवं जेम्स शामिल हैं.
स्क्रैपेज पॉलिसी से ऑटो सेक्टर को मिलेगा सपोर्ट!
ज्योति रॉय का कहना है, ऑटोमोबाइल सेक्टर पूरी तरह से फिजिकल खरीद पर निर्भर है. इसलिए कोविड महामारी के दौरान यह सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक रहा है. बजट में वित्त मंत्री ने प्रतीक्षित स्वैच्छिक स्क्रैपेज पॉलिसी घोषणा कर दी. इसका लंबे समय से इंतजार था. इस पॉलिसी से लोगों और कंपनियों को अपने 15 से 20 साल पुराने वाहनों को स्क्रैप करने और नया खरीदने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा. इसका फायदा देश में ओईएम (ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर) और इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरर्स को भी मिलेगा. कॉमर्शियल वाहन 15 साल और निजी वाहन 20 साल बाद फिटनेस टेस्ट से गुजरेंगे.
रॉय का कहना है कि एक अन्य अहम पहल अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम को लेकर है. इसमें इनोवेटिव पीपीपी मॉडल प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को 20,000 से अधिक बसों के फाइनेंस, अधिग्रहण, संचालन और रखरखाव करने के लिए सशक्त करेंगे. इससे भारतीय बस निर्माताओं को बूस्ट मिलेगा. स्पेसिफाइड ऑटो पार्ट्स जैसे इग्निशन वायरिंग सेट, सिग्नलिंग इक्विपमेंट के कुछ पार्ट्स, सेफ्टी ग्लास, और इसी तरह की कुछ वस्तुओं पर 7.5% और 10% से 15% तक कस्टम ड्यूटी में वृद्धि की गई है. ऑटो एंसिलरी कंपनियों को उससे लाभ होगा.
BFSI सेक्टर कैसे है अहम?
ज्योति रॉय का कहना है, सरकारी बैंकों की फाइनेंशियल स्थिति मजबूत करने के लिए सरकार 20,000 करोड़ रुपये का रीकैपिटलाइजेशन करेगी. इससे सरकारी बैंकों की बैलेंस शीट बेहतर होगी. मौजूदा लोन को एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (एआरसी) और एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) के जरिए एक नए बैड बैंक में भी ट्रांसफर किया जाएगा. यह सरकारी बैंकों के लिए एक और अच्छी पहल है. इससे स्ट्रेस्ड एसेट्स यानी एनपीए की समस्या कम होगी. हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (एचएफसी) को अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए टैक्स हॉलीडे का लाभ मिलेगा. यह अफोर्डेबल हाउसिंग क्षेत्र में काम करने वाली रियल एस्टेट कंपनियों को भी जोड़ेगा.
फार्मा सेक्टर एक बड़ा गेमचेंजर!
रॉय का कहना है, वित्त मंत्री ने बजट में हेल्थकेयर सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए अगले 6 साल में 64,180 करोड़ के खर्च की घोषणा की है. इससे नए संस्थान खुलेंगे और मौजूदा हेल्थकेयर इंस्टीट्यूट भी मजबूत होंगे. हेल्थ और वेलनेस का बजट खर्च भी 137 फीसदी बढ़ा है. वित्त वर्ष 2021 में यह 94,452 करोड़ था, जबकि 2022 में यह 2,23,846 करोड़ रुपये कर दिया गया है. 35,000 करोड़ रुपये वित्त वर्ष 2022 में कोविड-19 वैक्सीन के लिए आवंटित किए हैं. इसका फायदा वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स को होगा. यह खर्च और बढ़ने की संभावना है.
मैन्युफैक्चरिंग: कस्टम ड्यूटी में हेरफेर का लाभ?
रॉय का कहना है, सरकार की तैयारी अगले 5 साल में विभिन्न पीएलआई स्कीम्स पर 1.97 लाख करोड़ खर्च करने की है. यह खर्च इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के लिए घोषित 40,951 करोड़ की पीएलआई योजना के अतिरिक्त है. इसका भारतीय मैन्युफैक्चरर्स को फायदा होगा. प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली (पीसीबीए), कैमरा मॉड्यूल, और कनेक्टर्स सहित मोबाइल फोन के विशिष्ट इनपुट्स, पार्ट्स या सब-पार्ट्स पर कस्टम ड्यूटी भी बढ़ा दी गई है. भारतीय मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां इससे लाभान्वित होंगी.
सोना, हीरा कैसे रहेंगे खास
रॉय के मुताबिक, सोने और चांदी पर कस्टम्स ड्युटी 12.5% से घटाकर 7.5% कर दी गई है. हालांकि, सिंथेटिक कट और पॉलिश स्टोन्स (रत्न) के लिए अब यह ड्युटी 7.5% से बढ़ाकर 15% कर दिया गया है. 2.5% एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस भी गोल्ड, सिल्वर और डोर बार पर लागू किया है. इन कदमों का शुद्ध प्रभाव आभूषण कंपनियों पर सकारात्मक होगा. भारतीय रत्न और आभूषण कंपनियां भी लाभ की स्थिति में हैं.
रॉय का कहना है कि निवेशक इन क्षेत्रों में फोकस कर अपनी निवेश लक्ष्य और जोखिम क्षमता के अनुसार अपनी पोजिशन ले सकते हैं. कुछ अन्य सेग्मेंट और सब-सेग्मेंट जिन्हें आप आगे देख सकते हैं, उनमें रियल एस्टेट, सीमेंट, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन, पावर, इंश्योरेंस और हाउसहोल्ड अप्लायंसेस भी शामिल हैं.
(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस हिंदी ऑनलाइन किसी भी तरह के निवेश की सलाह नहीं देता है. निवेश से पहले स्वयं पड़ताल करें या अपने वित्तीय सलाहकार की मदद लें.)
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