तकनीकी ने जहां लोगों की जिंदगी को आसान बनाया है और सेवाओं तक पहुंच को आसान बनाया है, वहीं इसने अनाधिकृत लेनदेन, फिशिंग, चोरी आदि के माध्यम से धोखाधड़ी की आशंका को भी बढ़ाया है. हाई रिस्क वाले बिजनेस की निगरानी करने में बैंकों और वित्तीय संस्थानों को इस वजह से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बैंकों को देश या राज्य से बाहर रहने वाले कर्जदार लोगों की भी निगरानी में दिक्कतें आ रही हैं. ऐसे में लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर (LEI) को पारदर्शिता बढ़ाने के लिए लागू किया जा रहा है. इससे वित्तीय संस्थानों को अपने ग्राहकों को जानने में बहुत मिल सकती है.
केंद्रीय बैंक RBI का दावा है कि एलईआई के जरिए अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकती है और यह वित्तीय संकटों को टालने में बहुत मददगार है. आरबीआई ने अपनी केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली के जरिए संस्थाओं (गैर-व्यक्तियों) द्वारा किए गए 50 करोड़ रुपये से अधिक के सभी ट्रांजैक्शन के लिए एलईआई सिस्टम का उपयोग करने का निर्णय लिया है.
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20 कैरेक्टर का कोड है एलईआई
एलईआई आईएसओ द्वारा विकसित किया गया एक 20-कैरेक्टर अल्फा-न्यूमेरिक कोड है. यह एक वित्तीय इकाई के लिए पहचान के प्रमाण के रूप में कार्य करता है और नियामक मानकों के अनुपालन में सहायता करता है. कर्जदारों के बारे में आसानी से पता लगाया जा सकता है और उनकी निगरानी की जा सकती है यानी कि बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थानों के जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी.
LEI के ये हैं फायदे
- यह बैंकों को एक ही संपत्ति पर कई लोन देने से रोकता है और एनपीए के जोखिम को कम करने के लिए अपने ग्राहकों के इतिहास और गतिविधियों के बारे में जानने की सुविधा मिलती है.
- बैंकों द्वारा एलईआई के बढ़ते उपयोग से देश के बाहर बैंक रेमिटेंस (पैसे भेजने) में दक्षता और लागत बचत में बढ़ोतरी हो सकती है.
- एलईआई वित्तीय सेवा प्रदाताओं को वित्तीय जोखिम कम करने और डेटा सत्यापन में तेजी लाने में सहायता करता है.
- इसके जरिए कॉरपोरेट समूहों की तरफ से कुल उधारी का आकलन किया जा सकता और उनकी किसी इकाई की वित्तीय प्रोफ़ाइल को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है.
- इसके जरिेए अंतरराष्ट्रीय कारोबार को बढ़ाने में मदद मिलेगी.
(आर्टिकल: राहुल झा, सीईओ, एलईआई रजिस्टर इंडिया)