Adani Group Controversy : 10 दिन की कहानी, कहां से कहां आ गए गौतम अडानी | The Financial Express

Adani Group Controversy : 10 दिन की कहानी, कहां से कहां आ गए अडानी! 6 सेशन में 8.76 लाख करोड़ स्वाहा

Adani Group Controversy : अडानी ग्रुप की 10 लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 6 कारोबारी सेशन के दौरान 8.76 लाख करोड़ रुपये गिर चुका है.

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Hindenburg Research की रिपोर्ट सामने आने के बाद से अडानी समूह को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. (File Photo)

Hindenburg report damages Adani Group : देश के दिग्गज कारोबारी गौतम अडानी के ग्रुप के लिए पिछले दस दिन बेहद भारी रहे हैं. इतने कम समय में ही हम सबने देखा कि किस तरह दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स रहे गौतम अडाणी टॉप 10 की लिस्ट से भी बाहर हो चुके हैं. उनकी कंपनियों के शेयर जो कुछ अरसा पहले आसमान छू रहे थे, अब पाताल की गहराइयां नाप रहे हैं. एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक ग्रुप की 10 लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 6 कारोबारी सेशन के दौरान 8.76 लाख करोड़ रुपये गिर चुका है. इतना ही नहीं, क्रेडिट सुइस (Credit Suisse) और सिटीग्रुप (Citigroup) जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों ने तो उनके ग्रुप की सिक्योरिटीज़ की वैल्यू को जीरो मानकर उन्हें कॉलेटरल यानी गिरवी के तौर पर रखने से भी इनकार कर दिया है.

आइए समझते हैं कि इन दस दिनों में ऐसा क्या हो गया कि जिस बिजनेस ग्रुप का देश-विदेश में डंका बज रहा था, उसे देर रात बयान जारी करके अपना पूरी तरह सब्सक्राइब हो चुका एफपीओ वापस लेना पड़ रहा है.

24 जनवरी : हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से शुरू हुआ सिलसिला

अमेरिका की शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने 24 जनवरी 2023 को अपनी वो रिपोर्ट रिलीज की, जिसने अगले दस दिन में अडानी ग्रुप के लिए बहुत कुछ बदल दिया. न्यूयॉर्क की इस फर्म की रिपोर्ट की हेडिंग ही ये बताने के लिए काफी है कि उसमें कही गई बातें कितनी सनसनीखेज हैं. हिंडनबर्ग रिसर्च की इस रिपोर्ट का शीर्षक है “अडानी ग्रुप : दुनिया का तीसरा सबसे अमीर शख्स कैसे कर रहा है कॉरपोरेट इतिहास की सबसे बड़ी धोखाधड़ी” (Adani Group: How The World’s 3rd Richest Man Is Pulling The Largest Con In Corporate History). रिपोर्ट में दावा किया गया कि अडानी समूह ने न सिर्फ एकाउंटिंग फ्रॉड किए हैं, बल्कि ग्रुप की कंपनियों के शेयर प्राइस भी मैनिपुलेट किए जा रहे हैं. इसके अलावा रिपोर्ट में यह दावा भी किया गया कि अडानी समूह की 7 में से 5 कंपनियों में शॉर्ट टर्म लिक्विडिटी रिस्क (short-term liquidity risk) काफी अधिक है. हिंडनबर्ग रिसर्च के दावे कितने सही या गलत हैं, ये तो विस्तृत और निष्पक्ष जांच से ही पता चलेगा, लेकिन रिपोर्ट को शेयर बाजार और कई अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं ने कितनी गंभीरता से लिया यह उनकी प्रतिक्रिया से साफ जाहिर है.

25 जनवरी : बाजार में बुरी तरह पिटे अडानी ग्रुप के शेयर

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट सामने के अगले ही दिन यानी 25 जनवरी 2023 को शेयर बाजार में अडानी ग्रुप के शेयरों की धुलाई हो गई. एक ही दिन में समूह की लिस्टेड कंपनियों के शेयरों की वैल्यू कुल मिलाकर 97 हजार करोड़ रुपये कम हो गई.

27 जनवरी : भूचाल के बीच खुला अडानी एंटरप्राइजेज का FPO

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से आए भूचाल के बीच ही 27 जनवरी 2023 को अडानी समूह की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) का 20 हजार करोड़ रुपये का फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर भी खुला. लेकिन अडानी ग्रुप की कंपनियों में जारी भारी बिकवाली के बीच निवेशकों का रिस्पॉन्स बेहद कमजोर रहा और पहले दिन ऑफर सिर्फ 1 फीसदी ही सब्सक्राइब हो सका. रिपोर्ट्स के मुताबिक दिन खत्म होने तक ग्रुप के मुखिया गौतम अडानी की वेल्थ 4.17 लाख करोड़ रुपये घट चुकी थी.

29 जनवरी : अडानी का जवाब

हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों का खंडन करते हुए अडानी ग्रुप ने 29 जनवरी 2023 को 413 पेज का विस्तृत जवाब जारी किया. इस जवाब में अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को “झूठा” और “गुमराह करने वाला” बताते हुए दावा किया कि ये रिपोर्ट दरअसरल “भारत पर हमला” है. अडानी ग्रुप के जवाब में कहा गया है, “यह महज किसी कंपनी पर किया गया बेवजह का हमला नहीं है, बल्कि यह भारत पर हमला है, भारतीय संस्थानों की स्वतंत्रता, ईमानदारी और क्वॉलिटी पर हमला है, भारत की ग्रोथ स्टोरी और महत्वाकांक्षा पर हमला है.”

29 जनवरी : हिंडनबर्ग रिसर्च का पलटवार

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी के इस जवाबी वार पर एक बार फिर से पलटवार किया. उसका जवाबी बयान भी 29 जनवरी को ही जारी हो गया. हालांकि अमेरिका और भारत के टाइमजोन के अंतर के कारण भारत में यह जवाब अगले दिन सामने आया. हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने जवाबी बयान की हेडिंग भी पहली रिपोर्ट की तरह ही सनसनीखेज रखी, जो कुछ इस तरह है – “अडाणी को हमारा जवाब : आप एक फ्रॉड को राष्ट्रवाद या बड़बोलेपन से भरे किसी ऐसे जवाब की आड़ में छिपा नहीं सकते, जिसमें हमारे द्वारा लगाए गए हर महत्वपूर्ण आरोप की अनदेखी की गई है.”(Our Reply To Adani: Fraud Cannot Be Obfuscated By Nationalism Or A Bloated Response That Ignores Every Key Allegation We Raised)

30 जनवरी : अबु धाबी की कंपनी ने किया एफपीओ का समर्थन

अडानी एंटरप्राइजेज के सुस्त नजर आ रहे एफपीओ में 30 जनवरी को तब कुछ जान आ गई जब अबु धाबी की इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी (IHC) ने उसमें 400 मिलियन डॉलर यानी 3268 करोड़ रुपये का निवेश कर दिया. इस बीच, अडानी ग्रुप के जवाब पर हिंडनबर्ग के पलटवार ने भी इसी दिन भारत में लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा.

31 जनवरी : पूरी तरह सब्सक्राइब हुआ FPO

विवादों के बीच साल का आखिरी दिन अडानी ग्रुप के लिए एक अच्छी खबर लेकर आया जब 31 जनवरी को अडानी एंटरप्राइजेज का एफपीओ पूरी तरह सब्सक्राइब हो गया. इसमें काफी बड़ा योगदान नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (NIIS) का रहा, जिन्होंने अपने कोटे की तुलना में 3.26 गुना सब्सक्राइब किया.

1 फरवरी : क्रेडिट सुइस की रिपोर्ट, शेयरों की पिटाई और FPO की विदाई

1 फरवरी को जब सारे देश का ध्यान नए कारोबारी साल के बजट पर था, शेयर बाजार में अचानक अडानी ग्रुप के शेयरों में अंधाधुंध बिकवाली शुरू हो गई. दरअसल, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद से ही अडानी ग्रुप के शेयरों को लेकर आम निवेशकों में जो हिचक थी, उसे स्विटज़रलैंड की कंपनी क्रेडिट सुइस (Credit Suisse AG) की प्राइवेट बैंकिंग शाखा के एक फैसले ने अचानक से बढ़ा दिया. क्रेडिट सुइस की प्राइवेट बैंकिंग शाखा ने अडानी ग्रुप की कंपनियों – अडानी पोर्ट्स एंड एसईजे़ड (Adani Ports & SEZ), अडानी ग्रीन एनर्जी (Adani Green Energy)और अडानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई (Adani Electricity Mumbai) के बॉन्ड्स को मार्जिन लोन के एवज में कोलैटरल (collateral) के तौर पर स्वीकार करने यानी गिरवी रखने से इनकार कर दिया. आसान शब्दों में कहें तो क्रेडिट सुइस की प्राइवेट बैंकिंग शाखा ने अडानी ग्रुप की इन कंपनियों के बॉन्ड्स की वैल्यू को जीरो मान लिया. जाहिर है यह खबर मिलने पर निवेशकों में घबराहट फैल गयी, जो अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी बिकवाली की वजह बनी.

1 फरवरी को ही आई एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 कारोबारी सेशन के दौरान अडानी ग्रुप की कंपनियों के कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन में 7 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा यानी करीब 38 फीसदी की गिरावट आ गई. 1 फरवरी को ही रॉयटर्स ने रिपोर्ट दी कि मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच शुरू कर दी है.

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अडानी एंटरप्राइजेज ने नैतिकता के आधार पर रद्द किया FPO

इस तरह के माहौल के बीच ही 1 फरवरी को अडानी समूह ने देर रात एक बयान जारी करके अडानी एंटरप्राइजेज के अपने पूरी तरह सब्सक्राइब हो चुके FPO को रद्द करने का एलान कर दिया. अडानी ने इस फैसले को नैतिकता की वजह से उठाया गया कदम बताते हुए कहा, “बाजार के असामान्य माहौल में दिन भर हमारे शेयर की कीमत में भारी उथल-पुथल रही. कंपनी के बोर्ड ने फैसला किया है कि इन असाधारण हालात में इश्यू पर आगे बढ़ना नैतिक रूप से सही नहीं होगा. निवेशकों का हित हमारे लिए सबसे ऊपर है और उन्हें किसी आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए बोर्ड ने FPO को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है.” कंपनी ने सब्सक्रिप्शन के दौरान निवेशकों से मिले पैसे जल्द से जल्द वापस लौटाने की बात भी कही.

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2 फरवरी : FPO वापस लेकिन गिरावट जारी

अडानी एंटरप्राइज के बोर्ड ने भले ही इनवेस्टर्स के प्रति नैतिक जिम्मेदारी का हवाला देते हुए अपना पूरी तरह सब्सक्राइब हो चुका एफपीओ लौटा लिया, लेकिन कंपनी पर निवेशकों का भरोसा फिर भी नहीं लौटा. एफपीओ वापसी के एलान के अगले दिन, यानी 2 फरवरी को भी अडानी एंटरप्राइज समेत ग्रुप की ज्यादातर कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट का सिलसिला जारी रहा. 2 तारीख को अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर्स की कीमत एक ही दिन में 26 फीसदी से ज्यादा लुढ़क गई. दिन के कारोबार के दौरान तो कंपनी का शेयर एक बार 28.88 फीसदी तक गिरकर 1,513.90 रुपये पर भी आ गया था, जो 52 हफ्ते का सबसे निचला स्तर है. ग्रुप की ज्यादातर अन्य कंपनियों के शेयरों में भी लगातार छठे दिन गिरावट देखने को मिली.

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First published on: 02-02-2023 at 18:27 IST

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