खाद्य सुरक्षा नियामक FSSAI ने गुरुवार को CSE टेस्ट की डिटेल्स मांगी जिनके तहत टॉप 10 शहद के ब्रांड्स में मिलावट होने का दावा किया गया है. इसके साथ प्राधिकरण ने सवाल उठाए हैं कि क्यों उसके निर्धारित टेस्ट नहीं किए गए. बयान में भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने कहा है कि उसने पाया कि मिलावटी तत्वों को गैर-निर्धारित टेस्ट ट्रेस मार्कर फॉर राइस सिरप (TMR) करके खोजा है. जिसकी जगह ज्यादा बेहतर साइंटिफिक मार्कर फॉर राइस सिरप टेस्ट (SMR) का इस्तेमाल किया जा सकता था.
FSSAI ने SMR टेस्ट को अनिवार्य किया था
बयान में कहा है कि उसने CSE की जांच-पड़ताल को देखा है. FSSAI ने कहा कि उसने पहले ही SMR टेस्ट को अनिवार्य कर दिया था क्योंकि यह शहद में चावल सिरप की मिलावट को पकड़ने के लिए एक ज्यादा बेहतर टेस्ट है. बयान में कहा गया है कि यह साफ नहीं है कि क्यों कुछ टेस्ट जैसे SMR को सैंपल के साथ नहीं किया गया है. इसमें आगे कहा गया है कि FSSAI ने CSE से सैंपल की डिटेल्स और संचालित टेस्ट के लिए आवेदन किया है.
प्राधिकरण ने कहा कि एक बार डिटेल्स उपलब्ध हो जाती हैं, तो उनका FSSAI विश्लेषण करके नियमों के पालन को लेकर फैसला ले सकते हैं और भविष्य के लिए कोई सुधारों का सुझाव दे सकते हैं जिन्हें टेस्ट के तरीके में शामिल किया जाए.
CSE ने कंपनियों के दावों को बताया झूठा
सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरमेंट (CSE) ने गुरुवार को कहा कि इन कंपनियों द्वारा सभी भारतीय मापदंडों को पूरा करने के दावे सीमित मूल्य रखते हैं और भाषा का मायाजाल है. उसने कहा कि मिलावट का कारोबार जटिल है. FSSAI द्वारा तय किए गए मापदंडों पर टेस्टिंग करने वाली भारतीय लैब इस मिलावट को नहीं पकड़ सकीं.
CSE ने बुधवार को यह दावा किया था कि भारत में कई बड़े ब्रांड्स द्वारा बेचा जा रहे शहद में शूगर सिरप से मिलावट पाई गई है. स्टडी में CSE ने तीन कंपनियों द्वारा बेचे जा रहे ब्रांड्स का भी जिक्र किया था. इसके बाद डाबर और पतंजलि ने CSE के उन दावों का खंडन किया था. कंपनियों ने कहा कि ये दावे प्रेरित लगते हैं और इनका लक्ष्य ब्रांड्स की छवि को खराब करना है.
(Input: PTI)