FPI Investment: वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों द्वारा आक्रामक तरीके से ब्याज दरों में बढ़ोतरी, फेडरल रिजर्व का आक्रामक रुख और आगामी बजट 2023 के कारण जनवरी में इंडियन इक्विटी मार्केट (Equity Market) से फॉरेन इन्वेस्टर्स 17,000 करोड़ निकाल चुके हैं. इससे पहले मार्केट में दिसंबर में 11,119 करोड़ रुपये और नवंबर में 36,239 करोड रुपये का नेट इनफ्लो (Inflow) हुआ था. हालांकि दो महीने के बाद पहली बार इतनी भारी निकासी (Outflow) देखी जा रही है.
2022 में 1.21 लाख करोड़ की हुई निकासी
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 2022 में भारतीय शेयर बाजारों से 1.21 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं. 2022 एफपीआई इनफ्लो के लिहाज से सबसे खराब रहा है. फॉरेन इन्वेस्टर्स में यह निराशा कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, रूस-यूक्रेन युद्ध और कमोडिटी कीमतों में तेजी के कारण दिख रही है.
क्यों निकल रहे हैं भारत से FPI?
कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड के इक्विटी रिसर्च (रिटेल) के हेड श्रीकांत चौहान ने कहा कि एफपीआई प्रवाह भारत में अस्थिर रहने की उम्मीद है क्योंकि अगले हफ्ते केंद्रीय बजट से पहले इन्वेस्टर्स सतर्क हैं, जबकि वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही की कमाई का सीजन उत्साहित करने में विफल रहा है.
निवेशक रख रहे चीन पर नजर
Morningstar India के एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है कि एफपीआई 1 फरवरी को अमेरिकी फेडरल रिजर्व की होने वाली बैठक के वजह से भी सतर्क रुख अपना रहे हैं. फेड की मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग 31 जनवरी से 1 फरवरी तक होगी. हिमांशु ने आगे कहा कि इसके अलावा, एफपीआई लॉकडाउन के बाद बाजारों के फिर से खुलने से चीन पर भी नजर रख रहे हैं.
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निवेशकों को क्यों लुभा रहा है चीन?
Zero COVID Policy के बाद चीन में कोरोना मामलों में कमी देखी गई थी. हालांकि, अब फिर से मामलों में इजाफा देखने को मिल रहा है और इस वजह से चीनी बाजारों में गिरावट आई, जिसके कारण वह वैल्यू के नजरिये से और लुभावना हो गया. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट वीके विजयकुमार का कहना है कि जनवरी में एफपीआई की रणनीति भारत में बिकवाली और कंपैरेटिवली सस्ते बाजारों जैसे चीन, हांगकांग, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड में खरीदारी करने की रही है.