FPI: भारतीय शेयर बाजारों से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की निकासी का सिलसिला जारी है. एफपीआई ने इस महीने अबतक भारतीय बाजारों से 35,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि निकाली है. अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा आक्रामक तरीके से ब्याज दरों में बढ़ोतरी और डॉलर की मजबूती के चलते एफपीआई भारतीय बाजार में बिकवाल बने हुए हैं. डिपॉजिटरी के आंकडों के अनुसार, एफपीआई ने दो से 20 मई के दौरान भारतीय शेयरों से 35,137 करोड़ रुपये की निकासी की है. एफपीआई 2022 में अबतक भारतीय बाजारों से 1.65 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं.
एक्सपर्ट्स की राय
- कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च (रिटेल) हेड श्रीकांत चौहान ने कहा कि कच्चे तेल के ऊंचे दाम, इन्फ्लेशन, सख्त मौद्रिक रुख और अन्य वजहों से आगे भी एफपीआई का रुख उतार-चढ़ाव वाला बना रहेगा.
- जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘चूंकि प्रमुख बाजार अमेरिका में कमजोरी है और डॉलर मजबूत हो रहा है, ऐसे में एफपीआई की बिकवाली अभी जारी रहेगी.’’
- मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि विदेशी निवेशक आगे चलकर अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा और अधिक आक्रामक तरीके से ब्याज दरों में बढ़ोतरी की आशंका को लेकर चिंतित हैं. इस साल फेडरल रिजर्व ने दो बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है.
- इस अवधि में शेयरों के अलावा एफपीआई ने ऋण या बांड बाजार से शुद्ध रूप से 6,133 करोड़ रुपये निकाले हैं. भारत के अलावा अन्य उभरते बाजारों मसलन ताइवान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और फिलिपीन से भी एफपीआई ने निकासी की है.
विदेशी निवेशक लगातार 7 महीने रहे बिकवाल
विदेशी निवेशक अप्रैल, 2022 तक लगातार सात महीने भारतीय बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे हैं. इस दौरान उन्होंने शुद्ध रूप से 1.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है. लगातार छह माह तक बिकवाली के बाद अप्रैल के पहले सप्ताह में एफपीआई ने शेयरों में हालांकि 7,707 करोड़ रुपये का निवेश किया था. लेकिन उसके बाद 11 से 13 अप्रैल तक कम कारोबारी सत्र वाले सप्ताह में वे एक बार फिर बिकवाल बन गए. आगे के सप्ताहों में भी यही रुख जारी है.
(इनपुट-पीटीआई)