Investment Strategy in Commodity: शेयर बाजार में बिकवाली का दबाव इस साल के शुरू से ही बना हुआ है. महंगाई, रेट हाइक साइकिल, जियो पॉलिटिकल टेंशन, क्रूड की ऊंची कीमतें, सप्लाई चेन में रुकावट, बॉन्ड यील्ड में तेजी, रुपये में कमजोरी जैसे फैक्टर शेयर बाजार को कमजोर कर रहे हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि इक्विटी के लिए जो भी निगेटिव फैक्टर हैं, अचानक से खत्म होते नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में नियर टर्म में भी बाजार में करेक्शन दिखेगा. क्या ऐसे में इक्विटी में नुकसान की कुछ भरपाई कमोडिटी मार्केट से की जा सकती है. क्या बुलियन या एग्री कमोडिटी में निवेश के बेहतर मौके हैं. जानते हैं इस बारे में कमोडिटी एक्सपर्ट का क्या कहना है.
इस साल इक्विटी के मुकाबले कमोडिटी का प्रदर्शन
रुपया: -5.26%
निफ्टी: -9.01%
सेंसेक्स: -9.33%
Dow Jones: -13.61%
MCX Gold: +7.19%
MCX SILVER: -2.15%
कॉपर: +2.54%
MCX Crude oil: +65.17%
NCDEX गुआर सीड: -3.73%
MCX कॉटन: +37.57%
NCDEX जीरा: +31.74%
किन वजहों से कमोडिटी को मिल रहा है सपोर्ट
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि इक्विटी पर अभी सेलिंग प्रेशर नियर टर्म में जारी रहेगा. वहीं दूसरी ओर कमोडिटी के सपोर्ट में कुछ फैक्टर काम कर रहे हैं. आने वाले दिनों में बुलियन और एग्री कमोडिटी का आउटलुक मजबूत नजर आ रहा है. उनका कहना है कि पैनडेमिक के बाद डिमांड में अचानक तेजी, जियो पॉलिटिकल टेंशन, दुनियाभर में मौसम की प्रतिकूल कंडीशन, महंगाई, लॉजिस्टिक सर्विसेज में दिक्कतें, प्रोडक्शन घटने और सप्लाई प्रभावित होने से कमोडिटी की कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है.
उनका कहना है कि जिस तरह से एग्री कमोडिटी के प्रमुख उत्पादक देशों का अभी फोकस इंपोर्ट बढ़ाने और एक्सपोर्ट कम करने या बंद करने पर है, इससे साफ है कि सप्लाई से ज्यादा डिमांड है. वहीं दुनियाभर के मौसम की कंडीशन देखें तो यह कमोडिटी को सपोर्ट करने वाला है. मसलन यूएस में सूखे की स्थिति रही है, जिससे सीजनल प्रोडक्शन पर असर होगा. वहीं रूस और यूक्रेन जंग के चलते कुछ एग्री कमोडिटी का प्रोडक्शन और सप्लाई दोनों ही प्रभावित हुआ है.
गेहूं, कॉटन, जौ, आयल सीड्स में आएगी तेजी
केडिया के अनुसार यूक्रेन को गेहूं का कटोरा कहा जाता है. इसके अलावा भी कई एग्री कमोडिटी का यूक्रेन प्रमुख उत्पादक देश है. इस सीजन की बात करें तो मार्च से मई तक सोइंग सीजन होता है, जिस पर जंग का असर पड़ा है. इस साल वहां बुआई 50 फीसदी से ज्यादा गिरी है, जिससे प्रोडक्शन सालान बेसिस पर घटकर आधा रह जाएगा. इसका असर 6 महीने बाद ए्रग्री कमोडिटी की कीमतों पर दिखेगा. ऐसे में आने वाले दिनों में गेहूं, कॉटन, जौ और आयल सीड्स में और तेजी आ सकती है.
बुलियन में आएगी तेजी
IIFL के VP-रिसर्च, अनुज गुप्ता का कहना है कि मौजूदा समय में जब इक्विटी में नुकसान हो रहा है, बॉन्ड मार्केट में भी रिस्क बना हुआ है, बुलियन में सेफ हैवन डिमांड बढ़ सकती है. सोने और चांदी दोनों में ही आगे बेहतर रिटर्न दिख रहा है. वैसे भी इस साल सोने में पॉजिटिव रिटर्न मिला है. इसे इनफ्लेशन, इक्विटी में अस्थिरता, रीसेशन का डर जैसे फैक्टर से सपोर्ट मिलेगा. हालांकि इंटरेस्ट रेट हाइक से कुछ दबाव है, लेकिन नियर टर्म में सोने और चांदी में रैली दिख रही है. उनका कहना है कि सोने में 49 हजार से 50 हजार के बीच में एंट्री करें और अगले 3 महीने के लिए 52 हजार और फिर 53 हजार का टारगेट बनाएं. वहीं सिल्वर में 59 हजार से 60 हजार के बीच एंट्री करें और 3 महीने के लिए वहले 65 हजार और फिर 68 हजार का टारगेट रखें.