
Emerging markets: मौजूदा दौर में उभरते बाजार निवेश के लिए बेहतर अवसर दे रहे हैं. निवेशकों को उभरते बाजारों में हाई रिटर्न की संभावना दिख रही है, क्योंकि इन बाजारों को अमूमन तेज आर्थिक विकास का फायदा मिलता है. हालांकि, इन बाजारों में राजनीतिक अस्थिरता, करंसी को लेकर अस्थिरता और इलिक्विडिटी की वजह से ये हाई रिटर्न आमतौर पर महत्वपूर्ण जोखिमों के साथ जुड़े होते हैं. अगर आप भी इन इमर्जिंग मार्केट का फायदा उठाने चाहते हैं तो सही बाजारों और निवेश के सही इंस्ट्रूमेंट की पहचान करना एक चुनौती हो सकती है.
उभरते बाजार क्या हैं?
यहां सबसे पहले यह समझना होगा कि उभरते बाजार क्या हैं? विभिन्न संस्थाओं के पास एक उभरते हुए बाजार के रूप में किसी विशेष देश को वर्गीकृत करने के लिए अलग-अलग पैरामीटर हैं. इस समय, लगभग 20-24 देश इस पैरामीटर में आते हैं. इन सभी बाजारों में कुछ सामान्य विशेषताएं हैं.
a) अर्थव्यवस्था का उचित आकार
b) निरंतर आर्थिक विकास
c) वे बाजार विदेशी निवेशकों द्वारा निवेश के लिए खुले हैं
d) कैपिटल मार्केट को विकसित करने के उद्देश्य से रेगुलेटरी फ्रेमवर्क
गंभीर रूप से, एक उभरती हुई बाजार अर्थव्यवस्था एक लो इनकम, कम-विकसित मॉडल से औद्योगिक अर्थव्यवस्था की ओर उच्च जीवन स्तर के साथ ट्रांजिशनिंग फेज में है.
ग्लोबल जीडीपी में उभरती अर्थव्यवस्थाओं की हिस्सेदारी
ग्लोबल ग्रोथ इंजन उभरते बाजारों की ओर बढ़ रहा है. ग्लोबल जीडीपी में उभरती अर्थव्यवस्थाओं की हिस्सेदारी 1990 में 38 फीसदी से बढ़कर 2019 में 60 फीसदी हो गई है. अमेरिका में उपभोक्ता मांग और अन्य महत्वपूर्ण विकसित अर्थव्यवस्थाएं पारंपरिक रूप से वैश्विक विकास की प्रमुख ड्राइवर रही हैं. हालांकि, पिछले एक दशक में, वैश्विक विकास मुख्य रूप से उभरते बाजारों में मध्यम वर्ग के बोझ से आ रहा है, और यह प्रवृत्ति जारी रहने की संभावना है.
ग्लोबल मिडिल क्लास का आकार 2009 में 1.8 बिलियन से बढ़कर 2017 में लगभग 3.5 बिलियन लोगों तक पहुंच गया. और 2021 तक 4 बिलियन तक बढ़ने और 2030 तक 5.3 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है.
मिडिल क्लास का खर्च 2017 में 37 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 2030 तक 64 लाख करोड़ डॉलर होने का अनुमान है, जो कि जीडीपी वृद्धि के एक तिहाई के लिए जिम्मेदार है. इसका ज्यादातर हिस्सा उभरती अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ते कंज्यूमिंग क्लास द्वारा संचालित होगा.
उभरते बाजारों में निवेश बढ़ा
सालों से भरते बाजारों ने चीन के लीडरशिप में रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए महत्वपूर्ण निवेश किए हैं. उभरते हुए बाजारों के मजबूत कॉरपोरेट प्रदर्शन को भी विश्व स्तर पर मान्यता दी गई है.
फॉर्चून 500 में कंपनियां की हिस्सेदारी
2010 2015 2020
G7 65% 58% 55%
E7 13% 25% 29%
अन्य 22% 18% 16%
भारत की हिस्सेदारी
विश्व स्तर पर कई तरह के नई चीजें हो रही हैं, जो विभिन्न उद्योगों को बाधित कर हमारे दिन-प्रतिदिन के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं. इस समय, भारतीय शेयर बाजारों में लिस्टेड बहुत कम प्रवर्तक हैं. भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो सकता है, लेकिन हमारा मार्केट कैप 2.1 लाख करोड़ डॉलर यानी ग्लोबल मार्केट कैपिटलाइजेशन के 3 फीसदी से भी कम है.इसके विपरीत, उभरते बाजारों में ग्लोबल मार्केट कैपिटलाइजेशन का 25 फीसदी हिस्सा है.
इसके अलावा, एक ग्रुप के रूप में उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे से बहुत अलग हैं. ब्राजील और रूस मुख्य रूप से कमोडिटी-ओरिएंटेड अर्थव्यवस्था हैं, जबकि चीन जैसे कुछ बाजार मैन्युुैक्चरिंग-ओरिएंटेड हैं और भारत सर्विस ओरिएंटेड है. निवेश करने से जोखिम बढ़ता है और जोखिम को समाप्त नहीं किया जा सकता है, लेकिन डाइवर्सिफिकेशन द्वारा कम किया जा सकता है.
हालांकि उभरते बाजारों ने जीडीपी ग्रोथ के मामले में अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन हाल के दिनों में इक्विटी से रिटर्न में कमी आई है. पिछले 10 सालों में उभरते बाजारों ने अमेरिकी बाजारों को कमजोर कर दिया है, जो हेल्दी रिटर्न देते हैं.
इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स ने आल कंट्री वर्ल्ड इंडेक्स को पीछे छोड़ा
पिछले 33 सालों में इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स ने आल कंट्री वर्ल्ड इंडेक्स को पीछे छोड़ दिया है. उभरते बाजारों ने वैकल्पिक रूप से दुनिया के बाजारों को बेहतर प्रदर्शन किया है. MSCI इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स 1980 के दशक में और फिर 2000 के दशक में आगे निकल गया. वहीं आने वाला दशक उभरते बाजारों का हो सकता है.
यूएस ने पसंदीदा मुद्रा के रूप में यूएसडी स्टेटस का पूरा लाभ उठाया है. इसके अलावा, यूएस में ब्याज दरें लो लेवल पर हैं और कॉरपोरेट टैक्स भी बहुत कम है. यूएस मार्केट ने पिछले 10 साल से 13 फीसदी सालाना रिटर्न दिया है. ऐसा आगे जारी रहना मुश्किल है. उभरते बाजारों ने निरंतर विकास और कॉरपोरेट अर्निंग दी है. अब, इमर्जिंग मार्केट में ब्याज दरें कम हो रही हैं, आगे बेहतर ग्रोथ दिख रही है और हिस्टोरिकल अंडरपरफॉर्मेंस की वजह से आगे यहां से अच्छा रिटर्न दिख रहा है.
(लेखक: श्रीनिवास राव रावुरी, CIO–इक्विटीज, PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड)
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