CSE ने शुक्रवार को बताया कि उसने FSSAI के साथ बहुत अच्छे तरीके से संगठित शहद में मिलावट के कारोबार की पड़ताल की डिटेल्स को साझा कर दिया है. सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (CSE) ने बुधवार को देश में मौजूद बड़े ब्रांड्स के द्वारा बेचे जा रहे शहद में मिलावट की जांच को सामने रखा था. इसके साथ कहा था कि इन कंपनियों का सभी भारतीय मापदंडों को पूरा करने के दावे सीमित मूल्य रखते हैं और भाषा का मायाजाल है.
शहद में मिलावट का कारोबार बहुत जटिल: CSE
CSE की डायरेक्टर सुनीता नारायण ने जोर दिया कि जांच में पता चला है कि शहद में मिलावट का कारोबार बहुत जटिल है और इसे भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा बताए गए शुद्धता और गुणवत्ता के मापदंडों को धोखे से पार करने के लिए तैयार किया गया है. CSE ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि उसने जांच की डिटेल्स को FSSAI के अधिकारियों के सामने पेश किया, जिसमें चेयरपर्सन रीता टियोटिया और सीईओ अरुण सिंघल शामिल हैं.
उनके सामने हर चरण की डेवलपमेंट पेश हुई जिससे धोखाधड़ी सामने आई है. इसमें कहा गया है कि CSE ने दिखाया कि कैसे चीनी कंपनियां खुले तौर पर अपनी वेबसाइट पर प्रोडक्ट्स को मापदंडों को चकमा देने का विज्ञापन कर रही थीं, कैसे उसने इन कंपनियों से संपर्क किया और उसने कैसे सैंपल लिए हैं.
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मिलावटी तत्वों का भारत में आयात
CSE ने कहा कि FSSAI के अधिकारियों ने उन विशेष नामों के बारे में पूछा जिसके तहत मिलावटी तत्वों का भारत में आयात किया जा रहा था. CSE ने समझाया कि ऑनलाइन ट्रेड पोर्टल पर चीनी कंपनियां फ्रूक्टॉस और ग्लाकोज को शब्दों के तौर पर इस्तेमाल कर रही थीं. उसने यह भी जानकारी दी कि फ्रूक्टॉस और ग्लाकोज को भारत में आयात किया जा रहा था, पिछले कुछ सालों में 11,000 टन का हुआ है. इसमें बड़ा हिस्सा चीन से था.
CSE ने बताया कि FSSAI अधिकारी उन सिरप की मिलावट वाले सैंपल पर टेस्ट के बारे में जानना चाहते थे, जिन्हें CSE ने चीन और उत्तराखंड में जासपुर की एक फैक्ट्री से लिया था. CSE ने FSSAI को समझाया कि भारत में सिरप को ऑल पास सिरप कहा जाता है.