
व्यापारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया (CAIT) ने सरकार से मांग की है कि गु्ड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) में नियम 86बी को न लागू किया जाए. इस नियम के तहत हर महीने 50 लाख से अधिक के टर्नओवर वाले कारोबारियों को जीएसटी देनदारी का कम से कम एक फीसदी नकद में जमा कराने का प्रावधान किया गया है. कैट ने इस प्रावधान को ‘काउंटर प्रोडक्टिव’ (उत्पादकता को बुरी तरह प्रभावित करने वाला) बोलते हुए कहा कि इससे कारोबारियों पर कंप्लॉयंस बर्डेन बढ़ेगा. इसके अलावा कैट का कहना है कि जीएसटी बहुत कॉम्पिलेकेटेड टैक्स सिस्टम है. इसे लेकर वित्त मंत्री से मिलने का समय मांगा गया है.
इन कारोबारियों पर लागू होगा सेक्शन 86बी
सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स ने जीएसटी कानून में रूल 86 बी का प्रावधान जोड़ा है. यह प्रावधान जीएसटी लाइबिलिटी को डिस्चार्ज करते समय इनपुट टैक्स क्रेडिट की अधिकतम सीमा 99 फीसदी तय करता है यानी 99 फीसदी से अधिक इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम नहीं किया जा सकता है. हालांकि यह रिस्ट्रिक्शंस उन परिस्थितयों में नहीं लागू होगा जहां मैनेजिंग डायरेक्टर या किसी पार्टनर ने 1 लाख से अधिक का इनकम टैक्स चुकाया हो या रजिस्टर्ड पर्सन ने पिछले वित्त वर्ष में अनयूटिलाइड्ज इनपुट टैक्स क्रेडिट के बदले में 1 लाख रुपये से अधिक का रिफंड प्राप्त किया हो.
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ऑडिट रिटर्न की डेडलाइन बढ़ाने की मांग
कैट ने इस मुद्दे को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है. कैट ने पत्र में सेक्शन 86बी की तरफ वित्त मंत्री का ध्यान आकर्षित कराते हुए इस नियम को काउंटर प्रोडक्टिव स्टेप कहा है जिससे कारोबारियों पर कंप्लॉयंस का भार बढ़ेगा और उनकी फाइनेंसियल ऑब्लिगेशन भी बढ़ेगी. व्यापारिक संगठन ने बताया कि वित्त मंत्री से 86बी को लागू करने के फैसले को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का अनुरोध किया है. इसे अगले साल 1 जनवरी 2021 से लागू किया जाना है. इसके अलावा कैट ने वित्त मंत्री से जीएसटी फाइल करने और इनकम टैक्स ऑडिट रिटर्न की डेडलाइन 31 दिसंबर 2020 से बढ़ाकर 31 मार्च 2021 किए जाने की मांग की है.
कोरोना महामारी ने कारोबारियों को किया प्रभावित
कैट के आम सचिव प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण घरेलू कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है और कारोबारी अपने धंधे को बचाने की कोशिशें कर रहे हैं. ऐसे में रूल 86बी को लागू करने के फैसले को स्थगित किया जाना चाहिए. खंडेलवाल के मुताबिक जीएसटी बहुत कॉम्पिलेकेटड टैक्स सिस्टम हो गया है और इसे सरल किए जाने की जरूरत है. खंडेलवाल ने बताया कि इस मुद्दे पर वित्त मंत्री से मिलने का समय मांगा गया है.
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