इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने केन्द्र सरकार को इंश्योरेंस सेक्टर में आने वाली नई कंपनियों के लिए 100 करोड़ रुपये की एंट्री कैपिटल को कम करने और व्यावसायिक योजनाओं के आधार पर नियामक को राशि तय करने की अनुमति देने की सिफारिश की है. अगर सरकार इन सिफारिशों को मान लेते ही है, तो एंट्री कैपिटल के कम होने से बड़ी कंपनियों के साथ ही छोटी कंपनियां भी इंश्योरेंस सेक्टर में अपना बिजनेस कर सकेंगी, जिससे इंश्योरेंस सेक्टर में तेज ग्रोथ होने की उम्मीद की जा रही है.
सरकार के साथ जारी है बातचीत
IRDAI के अध्यक्ष देबाशीष पांडा ने बताया कि बैंकिंग सिस्टम की तरह हमारे पास माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट्स, रिजनल बैंक और स्मॉल फाइनेंस बैंक हैं. इसके साथ ही गैर बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां है, जो इंश्योरेंस सेक्टर में बिजनेस करना चाहती हैं. उन्होंने बताया कि IRDAI ने सरकार को इंश्योरेंस सेक्टर में एंट्री के लिए तय नियमों की समीक्षा करने और एंट्री कैपिटल को 100 करोड़ रुपये से कम करने का सुझाव दिया है.
इंश्योरेंस सेक्टर के लिए गेम चेंजर है बीमा सुगम
देबाशीष पांडा ने बीमा सुगम को इंश्योरेंस सेक्टर के लिए गेम चेंजर बताते हुए कहा कि IRDAI इसपर तेजी से काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि यह बीमा पॉलिसी की बिक्री, रिन्यूवल और क्लेम के निपटान समेत कई सर्विस के लिए वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म के रूप में काम करेगा. उन्होंने कहा कि बीमा सुगम इंश्योरेंस सेक्टर के लिए UPI जैसी क्रांति ला सकता है. जिस तरह यूपीआई ने देश में डिजिटल पेमेंट्स बढ़ावा दिया है, ठीक उसी तरीके से बीमा सुगम भी इंश्योरेंस सेक्टर में बड़े बदलाव ला सकता है. बीमा सुगम में एक ही प्लेटफॉर्म पर लोगों की इंश्योरेंस से जुड़ी सभी सर्विस मिल जाएंगी.