
Budget 2021: 1 फरवरी को पेश होने वाला बजट 2021-22 मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का तीसरा बजट होगा. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में पांच बार तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश किया था. वहीं 2019 में लोकसभा चुनाव होने के कारण फरवरी 2019 में अंतरिम बजट पेश किया गया और फिर जुलाई 2019 में फुल आम बजट आया. 2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार के पहली बार केन्द्र की सत्ता में आने के बाद से अब तक बजट में कई बड़े एलान टैक्सपेयर्स के लिए हो चुके हैं. फिर चाहे वह होम लोन के ब्याज पर अतिरिक्त डिडक्शन की राहत हो, रिबेट बढ़ना हो या फिर वैकल्पिक टैक्स स्लैब की पेशकश. आइए जानते हैं कि मोदी सरकार ने साल 2014 से अब तक आम लोगों के लिए अपने बजट के पिटारे से क्या-क्या निकाला है…
मोदी 1.0 का पहला बजट
2014 में लोकसभा चुनाव होने के कारण फरवरी में अंतरिम बजट पेश हुआ था. फिर मोदी सरकार सत्ता में आई और तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जुलाई में आम बजट पेश किया. 2014 के फुल बजट में बेसिक टैक्स छूट सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दिया गया. वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़कर 3 लाख रुपये हो गई. वहीं सेक्शन 80(सी) के तहत टैक्स डिडक्शन की लिमिट 1.1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये कर दी गई. सेक्शन 24 के तहत होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख रुपये से बढ़कर 2 लाख रुपये हो गई.
बजट 2015
- सेक्शन 80CCD(1b) के तहत NPS में निवेश पर 50 हजार रुपये की टैक्स छूट की घोषणा की गई. सेक्शन 80C और 80CCD(1b) को मिलाकर अब 2 लाख रुपये के टैक्स छूट का लाभ मिलने लगा.
- सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश पर मिलने वाले ब्याज को टैक्स फ्री किया गया.
- इंडिविजुअल्स के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन लिमिट 15 हजार रुपये से बढ़कर 25 हजार रुपये हो गई. वरिष्ठ नागरिकों के मामले में यह सीमा 20 हजार रुपये से बढ़कर 30 हजार रुपये हो गई.
- सैलरीड क्लास का ट्रांसपोर्ट अलाउंस लिमिट 800 रुपये से बढ़ाकप 1600 रुपये प्रति माह कर दिया गया.
- 1 करोड़ रुपये से अधिक की सालाना आय वाले इंडिविजुअल्स पर सरचार्ज 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया.
- वेल्थ टैक्स खत्म कर दिया गया.
बजट 2016
- 5 लाख से कम आय वालों के लिए टैक्स रिबेट 2000 से बढ़ाकर 5000 रुपये किया गया.
- नए होम बायर्स को 35 लाख रुपये तक के लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज के लिए अतिरिक्त 50,000 रुपये की टैक्स छूट दी गई.
- घर का किराया देने वालों के लिए सेक्शन 80GG के तहत टैक्स छूट को 24,000 से बढ़ाकर 60,000 रुपये किया गया.
- 1 करोड़ रुपये से अधिक की सालाना आय वाले इंडिविजुअल्स पर सरचार्ज 3 फीसदी बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया गया.
बजट 2017
- 2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक की इनकम के लिए इनकम टैक्स रेट को 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया गया.
- सभी टैक्सपेयर्स को 12,500 रुपये का टैक्स रिबेट दिया गया.
- 50 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये की सालाना आय वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज का प्रावधान किया गया.
बजट 2018
मोदी सरकार में वित्त मंत्री के तौर पर अरुण जेटली ने अंतिम बार 2018-19 का बजट पेश किया था. इसमें स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया.
- सैलरीड इंडीविजुअल्स के लिए 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को वापस लाया गया. हालांकि इसके बदले में 15000 रुपये के मेडिकल रिइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट को खत्म कर दिया गया.
- इक्विटीज से 1 लाख रुपये से अधिक के लांग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) पर 10 फीसदी टैक्स लगाया गया.
- सेस 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया गया.
- सीनियर सिटीजंस की 50,000 रुपये तक की इंटरेस्ट इनकम को टैक्स छूट दी गई, पहले यह सीमा 10,000 रुपये थी. इसके अलावा सीनियर सिटीजंस के लिए सेक्शन 80डी के तहत 50,000 रुपये तक मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट क्लेम कर सकने की सुविधा दी गई.
अंतरिम बजट 2019
- टैक्स रिबेट की लिमिट को 2500 रुपये से बढ़ाकर 12500 रुपये किया गया. इसके चलते 5 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स फ्री हो गई.
- स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40000 रुपये से बढ़ाकर 50000 रुपये किया गया.
- बैंक या डाकघरों में जमा पर आने वाले 40000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया. पहले यह लिमिट 10000 रुपये थी.
- किराए पर TDS की सीमा को भी 1.80 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.40 लाख रुपये किया गया.
- किसी व्यक्ति के दूसरे सेल्फ ऑक्यूपाइड मकान को टैक्स फ्री कर दिया गया. इससे पहले नियम था कि आपके दूसरे मकान में भले ही आपके परिवार के सदस्य रह रहे हों यानी आपने मकान किराए पर न दिया हो, फिर भी उस मकान पर आस-पास के एरिया के मुताबिक रेंट कैलकुलेशन होता था. इसी पर सरकार टैक्स कैलकुलेट करती थी.
- सेक्शन 54 के तहत प्रावधान किया गया कि अगर कोई एक मकान को बेचकर मिले पैसों से दो मकान खरीदता है तो दोनों मकानों पर टैक्स से छूट मिलेगी. पहले यह छूट केवल एक नए मकान तक ही सीमित थी. हालांकि शर्त है कि मकान बेचकर हुए कैपिटल गेन्स की रकम 2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए.
बजट 2019
मार्च 2019 में हुए आम चुनावों के बाद मोदी सरकार के एक बार फिर केन्द्र की सत्ता में आने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2019 में फुल बजट पेश किया.
- 45 लाख रुपये तक का घर खरीदने के लिए 31 मार्च 2020 तक लिए गए होम लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर टैक्स डिडक्शन लाभ बढ़ाकर 3.5 लाख रुपये तक कर दिया गया. पहले आयकर कानून के सेक्शन 24 के तहत टैक्स डिडक्शन की लिमिट 2 लाख रुपये थी. लेकिन बजट 2019 में नए सेक्शन 80EEA के तहत 1.5 लाख रुपये तक का अतिरिक्त डिडक्शन होम लोन ब्याज पर प्रस्तावित किया गया.
- 2 से 5 करोड़ आमदनी पर सरचार्ज 3 फीसदी और 5 करोड़ से ज्यादा की आय पर सरचार्ज 7 फीसदी बढ़ाया गया.
- किसी शख्स के एक ही बैंक/को-ऑपरेटिव बैंक/पोस्ट ऑफिस में मौजूद सभी अकाउंट को मिलाकर एक वित्त वर्ष में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा के कैश विदड्राल पर 2% TDS लगाए जाने की घोषणा की गई.
- इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) खरीदने के लिए लोन लेने पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर 1.5 लाख रुपये तक के टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकने की घोषणा की गई. EV लोन के ब्याज पर नए टैक्स डिडक्शन का क्लेम 1 अप्रैल 2020 से आयकर कानून के सेक्शन 80EEB के तहत किया जा सकता है. इसके लिए यह लोन 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2023 के बीच लिया गया होना चाहिए.
- ठेकेदारों या पेशेवरों को एक साल में 50 लाख रुपये सालाना से अधिक का भुगतान करने वाले व्यक्ति और HUF के लिए पांच फीसदी की दर से स्रोत पर कर कटौती (TDS) अनिवार्य कर दी.
- अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए किए गए भुगतान से TDS के लिए कुछ अन्य चार्जों को भी कंसीडरेशन में लिए जाने का प्रस्ताव रखा गया. इनमें संपत्ति की खरीद के साथ क्लब की सदस्यता, कार पार्किंग शुल्क, बिजली या जलापूर्ति सेवाओं का भुगतान, रख.रखाव शुल्क समेत अन्य तरह के शुल्क शामिल हैं.
- चालू खाते में एक करोड़ रुपये से अधिक जमा करने, एक लाख रुपये से अधिक बिजली बिल का भुगतान करने और एक साल में विदेश यात्रा पर दो लाख रुपये खर्च करने वालों के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य करने का एलान किया गया.
बजट 2020
बजट 2020 में वैकल्पिक आयकर स्लैब्स की घोषणा की गई. अब करदाताओं को पुराना परंपरागत इनकम टैक्स स्लैब और नया वैकल्पिक टैक्स स्लैब दोनों उपलब्ध हैं. वैकल्पिक टैक्स स्लैब इस तरह है-
याद रखें कि वैकल्पिक टैक्स स्लैब अपनाने वाले आयकरदाता कुछ डिडक्शंस और एग्जेंप्शन का फायदा नहीं ले पाएंगे.
सस्ते मकान की खरीद के लिए 1.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त कटौती को एक साल बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया. सरकार ने बजट 2019 में होम लोन के ब्याज पेमेंट पर 1.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त कटौती के लिए प्रावधान किया था. इसके लिए आयकर कानून में नया सेक्शन 80EEA जोड़ा गया था. हालांकि इसका फायदा केवल वही लोग ले सकते थे, जिन्होंने अप्रैल 2019 से मार्च 2020 के बीच लोन लिया हो. बजट 2020 में इस डेडलाइन को एक साल के लिए बढ़ाया गया. होम लोन के ब्याज पेमेंट पर पहले से सेक्शन 24 के तहत 2 लाख रुपये तक का टैक्स डिडक्शन मिलता है. वहीं प्रिंसिपल अमाउंट पर सेक्शन 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन मिलता है.
- कंपनियों और म्यूचुअल फंड्स की ओर से दिए जाने वाले डिविडेंड पर DDT खत्म कर दिया गया.
- ओवरसीज रेमिटेंस और ओवरसीज टूर पैकेज की बिक्री पर TCS वसूल करने के लिए आयकर कानून के सेक्शन 206C में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया. सेक्शन 206C के तहत नए नियमों के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति 7 लाख रुपये या इससे ज्यादा अमाउंट एक वित्त वर्ष में भारत के बाहर LRS के तहत रेमिटेंस के रूप में भेजता है तो 5 फीसदी की दर से TCS देय होगा. अगर ऑथराइज्ड डीलर या टूर पैकेज विक्रेता को PAN या आधार उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो TCS की दर 10 फीसदी होगी. हालांकि इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर इसका रिफंड पाया जा सकेगा.
- स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए कर में रियायत
- डायरेक्ट टैक्स की मुकदमेबाजी कम करने के लिए विवाद से विश्वास स्कीम की घोषणा.
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