Budget 2023 Pharma Sector: भारत का फार्मा सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है. घरेलू फार्मा इंडस्ट्री का आकार फिलहाल 50 अरब डॉलर का है, जिसके 2047 तक 450 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. फार्मा सेक्टर से जुड़े लोगों का कहना है कि यह सेक्टर सरकार के मेक इन इंडिया प्रोग्राम का लीडर बन सकता है. ऐसे में सरकार को बजट के जरिए रेगुलेशन को आसान बनाकर, रिसर्च बेस्ड इंसेंटिव और चिकित्सा कर्मचारियों की कमी को दूर करने के उपायों के जरिए सेक्टर को बूस्ट देने की जरूरत है.
इनोवेशन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर हो फोकस
फार्मा इंडस्ट्री के विभिन्न संगठनों ने उम्मीद जताई है कि आम बजट में सरकार इनोवेशन के साथ रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर ध्यान देते हुए क्षेत्र के लिए रेगुलेशन के सरलीकरण के लिए कदम उठाएगी. आगामी बजट में इंडस्ट्री की अपेक्षाओं पर भारतीय फार्मास्युटिकल गठबंधन (आईपीए) के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा कि घरेलू फार्मा इंडस्ट्री का आकार फिलहाल 50 अरब डॉलर का है. इसके 2030 तक 130 अरब डॉलर, जबकि 2047 तक 450 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.
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उन्होंने न्यूज एजेंसी को बताया कि इस लक्ष्य को पाने के लिए आम बजट 2023-24 इनोवेशन और रिसर्च एंड डेवलपमेंट को बढ़ावा देने वाला होना चाहिए, जिससे फार्मा इंडस्ट्री को आगे बढ़ने के लिए गति मिल सके. आईपीए सनफार्मा, डॉ. रेड्डीज लैब, अरविंदो फार्मा, सिप्ला, ल्यूपिन और ग्लेनमार्क समेत 24 घरेलू फार्मा कंपनियों का गठबंधन है.
‘आत्मनिर्भर भारत’ में बड़ा योगदान
भारतीय फार्मास्युटिकल उत्पादक संगठन (ओपीपीआई) के महानिदेशक विवेक सहगल ने कहा कि कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ में वास्तविक योगदान के लिए लाइफ साइंस सेक्टर को सक्षम बनाने के लिए सरकार को बेहतर पॉलिसी बनाने के साथ फिस्कल इंसेंटिव बनाने की जरूरत है. ओपीपीआई शोध आधारित फार्मा कंपनियों एस्ट्राजेनेका, जॉनसन एंड जॉनसन और मर्क और अन्य का प्रतिनिधित्व करता है.
चिकित्सा कर्मियों की कमी दूर हो
नोवार्टिस इंडिया के भारत में अध्यक्ष अमिताभ दुबे ने कहा कि सरकार को रिसर्च बेस्ड इंसेटिव योजनाओं पर बल देने की जरूरत है. क्योंकि इससे जीवनरक्षक दवाइयों की उलब्धता बेहतर होती है. फोर्टिस हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) आशुतोष रघुवंशी ने कहा कि पेशेवर चिकित्सा कर्मियों की कमी की समस्या को सुलझाने की जरूरत है. इसके लिए दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में काम करने के इच्छुक डॉक्टरों, नर्सों और तकनीकी कर्मियों की पहचान करने की जरूरत है.