Budget 2022 Expectations for Real Estate: कोरोना महामारी के झटकों ने रीयल एस्टेट को बुरी तरह प्रभावित किया. हालांकि अधिकतर सेग्मेंट्स में रीयल एस्टेट ने शानदार वापसी की है और अपनी स्थिति को काफी हद तक वापस हासिल कर लिया है. खासतौर से हाउसिंग और कॉमर्शियल ऑफिस सेग्मेंट्स कोरोना से पहले के स्तर के करीब पहुंच चुके हैं. ऐसे में आने वाले बजट से रीयल एस्टेट सेक्टर को काफी उम्मीदे हैं. अगर घर खरीदारों, निवेशकों और डेवलपर्स को टैक्स राहत और इंसेंटिव मिलता है तो इस सेक्टर को काफी मदद मिलेगी.
कोरोना महामारी के झटकों से इकोनॉमी तेजी से उबर रही है और चालू वित्त वर्ष 2021-22 में 9.2 फीसदी की ग्रोथ का अनुमान है. इसके अलावा हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर भी बाजार को लेकर पॉजिटिव संकेत दे रहेहैं. केंद्रीय बैंक आरबीआई ने दरों को निचले स्तर पर बरकार रखा है और सरकार ने भी समय पर इंसेंटिव दिया जिससे रीयल एस्टेट मार्केट को सहारा मिला और कोरोना महामारी से उबरने में मदद मिली. अब रीयल एस्टेट सेक्टर को अगले वित्त वर्ष 2022-23 के बजट को लेकर कई उम्मीदें जुड़ी हुई हैं जिनके बारे में नीचे दिया जा रहा है.
रीयल एस्टेट सेक्टर को मिले इंडस्ट्री का दर्जा
रीयल एस्टेट सेक्टर को लंबे समय से इंडस्ट्री का दर्जा दिए जाने की मांग रही है और आंशिक रूप से ही इसे पूरा किया गया है. अभी सिर्फ अफोर्डेबल हाउसिंग को इंफ्रास्ट्रक्चर स्टेटस दिया गया है. इंफ्रास्ट्रक्टर स्टेटस के जरिए कम खर्च पर कर्ज मिलना और आसानी से कर्ज मिलने पर इस सेक्टर को फायदा मिलेगा. इससे निवेश और रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा.
‘Net Zero’ लक्ष्य में योगदान पर टैक्स बेनेफिट्स की मांग
अगर कोई डेवलपर्स ऐसे कॉमर्शियल और आवासीय बिल्डिंग्स बना रहा है जिससे नेट जीरो कॉर्बन के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिल रही है तो उन्हे मुनाफे पर टैक्स देनदारी पर एक समय तक एग्जेंप्शन और अन्य टैक्स इंसेंटिव जैसे बेनेफिट्स दिए जा सकते हैं. नेट जीरो का मतलब है कि नेट कॉर्बन उत्सर्जन शून्य हो यानी कि जितना कॉर्बन उत्सर्जित हो रहा है, उतना पूरा एब्जॉर्ब हो जाए. नेट जीरी कॉर्बन को लेकर डेवलपर्स प्राकृतिक रोशनी, हरित छत और एनर्जी के लिए रिन्यूएबल सोर्स, सीवेज ट्रीटेमेंट, रेनवॉटर हारवेस्टिंग इत्यादि पर फोकस कर सकते हैं, अगर उन्हें बजट से टैक्स बेनेफिट्स मिलते हैं.
अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स पर जीएसटी में छूट की मांग
ऐसे समय में जब आवासीय सेक्टर में मजबूती दिख रही है और यह कोरोना महामारी के प्रतिकूल प्रभाव से उबर रही है, अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स पर जीएसटी में राहत से बिक्री बढ़ाने में मदद मिलेगी. अभी अंडर-कंस्ट्रक्शन फोर्डेबल हाउसिंग यूनिट्स पर इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ 1 फीसदी और अन्य प्रोजेक्ट्स पर 5 फीसदी की दर से जीएसटी चुकाना होता है.
जीएसटी की गणना में आईटीसी को मिले मंजूरी
सरकार कच्चे माल पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) को फिर से बहाल कर सकती है. सरकार ने रेजिडेंशियल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स पर दरों में कटौती कर जीएसटी के बोझ को कम किया है लेकिन डेवलपर्स को आईटीसी की सुविधा नहीं मिलने के चलते घर की कीमतों में कम कटौती हुई. इसके अलावा सरकार अगर सीमेंट व स्टील जैसे रच्चे माल पर जीएसटी कम करती है तो इनकी कीमतों में बढ़ोतरी से राहत मिल सकती है और घर खरीदरों को फायदा पहुंचेगा.
क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (CLSS) का बढ़े दायरा
एमआईजी (मिडिल इनकम ग्रुप) के लिए सीएलएसएस की सुविधा 31 मार्च 2021 तक उपलब्ध है और ईडब्ल्यूजी (इकोनॉमिकली वीक ग्रुप) और एलआईजी (लो इनकम ग्रुप) के लिए यह योजना अगले साल 31 मार्च 2022 तक जारी रहेगी. अगर इस योजना की डेडलाइन को एक साल और बढ़ाया जाता है तो घर खरीदारों को मदद मिलेगी. इसके अलावा सरकार को एमआईजी के तहत अधिक से अधिक लोग आ सकें, इसके लिए एरिया और टिकट साइज का रिव्यू करना चाहिए.
रीयल एस्टेट प्रोजेक्ट्स के लिए विशेष फंड बनाने की मांग
महामारी के चलते लिक्विडिटी संकट ने कुछ रीयल्टी प्रोजेक्ट्स को पूरा होने में देरी हो रही है. ऐसे में एक खास निवेश फंड बनाने की जरूरत है जिससे ऐसे प्रोजेक्ट्स की वित्तीय मदद की जा सके.
Budget 2022 के लिए ये भी हैं सिफारिशें
- पहली बार खरीदने वाले टैक्सपेयर्स को सेक्शन 80ईईए के तहत होम लोन पर मिलने वाले ब्याज पर अतिरिक्त 1.5 लाख रुपये के डिडक्शन का फायदा मिलता है. इस बेनेफिट को 31 मार्च 2023 तक जारी रखा जा सकता है.
- सेक्शन 80आईबीए के तहत डेवलपर्स को अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स पर मिलने वाले टैक्स बेनेफिट्स को मार्च 2023 तक बढ़ाया जा सकता है.
- सर्किल रेट और ट्रांजैक्शन वैल्यू के बीच के अंतर को कम कर 20 फीसदी किए जाने का डेवलपर्स और घर खरीदारों को फायदा मिला है. इस योजना को सरकार को इसे एक और वित्त वर्ष बढ़ाने पर विचार करना चाहिए.
- अभी होम लोन के मूलधन पर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन का लाभ मिलता है जिसे बजट में अलग सेक्शन के तहत लाया जा सकता है ताकि टैक्सपेयर्स को अधिक टैक्स बेनेफिट मिल सके.
- हाउस प्रॉपर्टी से हुए नुकसान को अन्य हेड के तहत 2 लाख रुपये की आय को सेट ऑफ करने पर रोक को हटाया जाए.
- अन्य लिस्टेड सिक्योरिटीज की तरह REIT के तहत लांग टर्म कैपिटल गेन्स होने के लिए होल्डिंग पीरियड को घटाकर एक साल किया जाए.
- लीज के लिए बनाई गई कॉमर्शियल संपत्तियों पर जीएसटी दरों में कटौती हो. अभी किराए से होने वाली आय पर 18 फीसदी की जीएसटी लगती है.