
Budget 2021 Personal Finance: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश किया है. यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का तीसरा बजट है. कोरोना महामारी और उसके बाद आर्थिक संकट के कारण यह बजट बहुत महत्वपूर्ण हो गया है. इस बजट का आपके पर्सनल फाइनेंस पर भी बड़ा असर होगा. कहीं जगह आपको फायदा मिल सकता है, तो कहीं नुकसान भी पहुंच सकता है.
सीनियर सिटीजन को नहीं फाइल करना होगा ITR
बजट में एलान हुआ कि 75 साल से ज्यादा उम्र के ऐसे बुजुर्ग जो केवल पेंशन और जमा से होने वाली ब्याज आय पर निर्भर हैं, उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग (ITR) की जरूरत नहीं होगी. भुगतानकर्ता बैंक उनकी आय पर आवश्यक टैक्स की कटौती कर लेगा. हालांकि, इस लाभ के लिए जरूरी है कि पेंशन और ब्याज आय एक ही बैंक में आएं. वहीं, जिन वरिष्ठ नागरिकों की आय के पेंशन और बैंक जमा से ब्याज आय के अलावा अन्य स्रोत भी हैं, उन्हें आयकर रिटर्न भरना होगा.
पीएफ पर टैक्स
निर्मला सीतारमण ने अपनी बजट स्पीच में प्रस्ताव रखा कि विभिन्न पीएफ में कर्मचारी अंशदान पर होने वाली ब्याज आय के मामले में टैक्स छूट को 2.5 लाख रुपये सालाना कर्मचारी अंशदान तक सीमित किए जाए. यह नया प्रस्ताव 1 अप्रैल 2021 को या उसके बाद होने वाले पीएफ कर्मचारी अंशदानों पर लागू होगा. इस प्रस्ताव के अमल में आने के बाद पीएफ में 2.5 लाख रुपये सालाना तक के कर्मचारी अंशदान से होने वाली ब्याज आय ही टैक्स फ्री होगी. इस लिमिट से अधिक के कर्मचारी अंशदान पर ब्याज आय टैक्स के दायरे में आ जाएगी. इससे वे कर्मचारी सीधे तौर पर प्रभावित होंगे, जिनकी आय उच्च है और वे वॉलंटरी प्रोविडेंट फंड के जरिए मोटी टैक्स फ्री ब्याज आय प्राप्त कर लेते हैं.
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यूलिप पर टैक्स
अगर आप यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसीज (ULIPs) में एक साल में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के प्रीमियम का भुगतान करते हैं तो सेक्शन 10 (10डी) के तहत उपलब्ध टैक्स एग्जेम्पशन हटा दिया गया है. यह नियम मौजूदा यूलिप पर लागू नहीं होगा. सिर्फ इस साल 1 फरवरी के बाद बेची गई पॉलिसियों पर ही यह प्रभावी होगा. इन पर हुए कैपिटल गेंस पर उसी तरह से टैक्स लगेगा, जैसे कि इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड पर लगाया जाता है. यानी इन पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा.
DICGC एक्ट में होगा बदलाव
वित्त मंत्री सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि सरकार ने बैंक ग्राहकों के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर को 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख करने की मंजूरी दी थी. उन्होंने कहा कि वे इस सत्र में ही DICGC एक्ट, 1961 में संशोधनों को पेश करेंगी, जिससे अगर कोई बैंक अस्थायी तौर पर दायित्वों नहीं पूरा कर पा रहा है, तो ऐसे बैंक के जमाकर्ताओं को आसानी और समयबद्ध तरीके से अपनी जमा राशि डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर की सीमा तक मिल सकेगी. उन्होंने कहा कि इससे संकट में फंसे बैंकों के जमाकर्ताओं को मदद मिलेगी.
फेसलेस असेस्मेंट को बढ़ावा
वित्त मंत्री सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि आसान अनुपालन के लिए वे टैक्सेशन प्रक्रिया को फेसलेस बनाने के प्रति प्रतिबद्ध हैं. सरकार ने पहले ही इस साल फेसलेस असेस्मेंट और अपील को पेश कर दिया है. उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स अपील का अगला स्तर इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल है. वे अब इस ट्रिब्यूनल को फेसलेस बनाने का प्रस्ताव करती हैं. एक नेशनल फेसलेस इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल सेंटर का गठन किया जाएगा. ट्रिब्यूनल और आवेदक के बीच सभी संवाद इलेक्ट्रॉनिक होगा.
तेज रफ्तार टैक्स समाधान
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि वर्तमान में, एक असेस्मेंट को दोबारा खोलने में 6 साल तक का समय लग सकता है और गंभीर मामले में यह 10 सात तक जा सकता है. ऐसे में, टैक्सपेयर्स को लंबे समय तक अनिश्चित्ता में रहना पड़ता है. उन्होंने असेस्मेंट को दोबारा खोलने की समय सीमा को घटाकर वर्तमान के 6 साल से 3 साल करने का प्रस्ताव रखा है.
होम लोन ग्राहकों को राहत
वित्त मंत्री ने घोषणा की कि सस्ते मकान की खरीद के लिए होम लोन के ब्याज पेमेंट पर 1.5 लाख रुपये तक के अतिरिक्त टैक्स डिडक्शन को और एक साल बढ़ाने का प्रस्ताव है. यानी अब करदाता इस अतिरिक्त डिडक्शन का लाभ 31 मार्च 2022 तक लिए गए होम लोन पर ले सकते हैं.
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टैक्स फायदे वाले जीरो कूपन बॉन्ड
सीतारमण ने बजट में कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए, कि ज्यादा संख्या में फंड भारत में निवेश करें, वे निजी फंडिंग से जुड़े प्रतिबंधों, कमर्शियल कामों पर प्रतिबंध और इंफ्रास्ट्रक्चर में सीधे निवेश से जुड़ी कुछ शर्तों में राहत का प्रस्ताव कर रही हैं. उन्होंने कहा कि वे जीरो कूपन बॉन्ड को जारी करके इंफ्रास्ट्रक्चर की फंडिंग की मंजूरी दे रही हैं. इसके लिए वे प्रस्ताव कर रही हैं कि नोटिफाइड इंफ्रास्ट्रक्चर डेट फंड, टैक्स एफिशिएंट जीरो कूपन बॉन्ड जारी कर फंड इकट्ठा कर सकते हैं.
वर्कर्स को मिलेगी सोशल सिक्योरिटी
उबेर, ओला स्विगी और जोमैटो जैसे ई-कॉमर्स बिजनस में काम करने वाले कर्मियों को वेतन नहीं मिलता है और उन्हें प्रोविडेंट फंड, ग्रुप इंश्योरेंस व पेंशन जैसी सोशल सिक्योरिटी स्कीम का फायदा नहीं मिलता है. इन लोगों के लिए वित्त मंत्री ने बजट में घोषणा की है कि ऐसे कर्मियों के लिए न्यूनतम वेतन सुनिश्चित की जाएगी और कर्मचारी राज्य बीमा निगम के तहत लाया जाएगा.
इनवेस्टर चार्टर
वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा कि निवेशक की सुरक्षा की तरफ कदम उठाते हुए, वे एक इनवेस्टर चार्टर पेश करने का प्रस्ताव करती हैं. उन्होंने बताया कि यह चार्टर सभी वित्तीय उत्पादों में सभी वित्तीय निवेशकों का अधिकार होगा.
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