NPS: नौकरीपेशा लोगों के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) काफी फायदेमंद हैं. इसमें कॉन्ट्रीब्यूशन न केवल रिटायरमेंट फंड बनाने में मददगार है बल्कि ट्रैक्स फ्री भी है. सरकारी और प्राइवेट दोनों सेक्टर के कर्मचारी NPS में निवेश कर सकते हैं. प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के मामले में NPS में कर्मचारी ओर नियोक्ता दोनों की ओर से कर्मचारी की बेसिक सैलरी+ DA का 10 फीसदी तक अंशदान किया जा सकता है.
NPS में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की ओर से अंशदान पर टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है. आयकर कानून का सेक्शन 80CCD NPS अकाउंट में कर्मचारी द्वारा किए जाने वाले अंशदान पर टैक्स डिडक्शन का फायदा उपलब्ध कराता है. हालांकि इसके लिए ऊपरी सीमा 1.5 लाख रुपये है. यानी एक वित्त वर्ष में अंशदान इस लिमिट से ज्यादा होने पर वह टैक्स के दायरे में आएगा.
नियोक्ता के योगदान पर कैसे फायदा
नियोक्ता की ओर से NPS में किए जाने वाले अंशदान पर टैक्स डिडक्शन क्लेम करने के लिए अभी कोई ऊपरी सीमा नहीं है. NPS अकाउंट में एंप्लॉयर द्वारा किए गए अंशदान पर सब सेक्शन 80CCD (2) के अंतर्गत टैक्स बेनिफिट मिलता है. मौजूदा नियम के मुताबिक, एंप्लॉयर की ओर से इंप्लॉई की सैलरी के 10 फीसदी के बराबर अंशदान पर टैक्स डिडक्शन का फायदा लिया जा सकता है, फिर चाहे वह अमाउंट में कितना भी हो.
अब क्या होने वाला है नियम
लेकिन अब नियोक्ता के अंशदान पर भी टैक्स बेनिफिट की ऊपरी सीमा तय किए जाने की कवायद चल रही है. बजट 2020 में प्रस्ताव रखा गया है कि EPS, NPS और सुपरएनुएशन फंड में नियोक्ता द्वारा किए जाने वाले संयुक्त योगदान की ऊपरी सीमा एक वित्त वर्ष में 7.5 लाख रुपये तय की जाए.
अगर यह प्रस्ताव लागू होता है तो उच्च वेतन वाले कर्मचारियों को NPS पर मिलने वाले टैक्स बेनिफिट में नुकसान हो सकता है क्योंकि नियोक्ता की ओर से एक वित्त वर्ष में केवल 7.5 लाख रुपये तक के अंशदान पर ही टैक्स डिडक्शन का फायदा मिलेगा. इससे ऊपर का अंशदान टैक्स के दायरे में आएगा.
Story: AMITAVA CHAKRABARTY
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