
उच्चतम न्यायालय ने आधार को विभिन्न सेवाओं और कल्याणकारी योजनाओं से अनिवार्य रूप से जोड़ने की समयसीमा अगले साल 31 मार्च तक के लिए आज बढ़ा दी। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में आधार को मोबाइल सेवाओं से जोड़ने के संबंध में अपने पहले के आदेश में भी सुधार किया और कहा कि इस संबंध में अगले साल छह फरवरी की समयसीमा को भी 31 मार्च तक के लिए बढ़ाया जाता है।
न्यायमूर्ति ए के सीकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि बैंक में नया खाता खोलने के लिए आवेदक को बैंक को आधार नंबर देने की जरुरत नहीं होगी। सर्वसम्मति से अंतरिम आदेश लिखने वाले न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि हालांकि आवेदक को इस बात का सबूत दिखाना होगा कि उसने आधार संख्या के लिए आवेदन कर रखा है।
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि संवैधानिक पीठ आधार योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर 17 जनवरी से सुनवाई शुरू करेगी। अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कल उच्चतम न्यायालय में कहा था कि विभिन्न सेवाओं और कल्याणकारी योजनाओं को आधार से अनिवार्य रूप से जोड़ने की समयसीमा को भी अगले साल 31 मार्च तक बढ़ाया जा सकता है।
हाल ही में उच्चतम न्यायालय की नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा था कि संविधान के तहत निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। आधार की वैधता को चुनौती देने वाले कई याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि यह निजता के अधिकारों का उल्लंघन करता है।
शीर्ष न्यायालय में कई याचिकाकर्ताओं ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) संख्या को बैंक खातों और मोबाइल नंबर से जोड़ने को ‘‘गैरकानूनी तथा असंवैधानिक’’ बताया है
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